...

0 views

रिश्तों में आए रिक्ताएं
ससुराल में जिया की आज पहली रसोई थी और पहले दिन ही जिया से गड़बड़ी हो गई ।दरअसल जिया की सास ने उसे मीठे में गाजर का हलवा बनाने के लिए कहा था । मग़र जिया ने आज से पहले कभी रसोई में कदम तक नहीं रखा था ।तो उसे यह काम बहुत मुश्किल लग रहा था। उसके सामने चैलेंज यह था कि ना तो वह यूट्यूब से देख सकती थी और ना ही फोन करके अपने मायके में किसी से पूछ सकती थी। क्योंकि उसकी ननद और जेठानी उसके आसपास ही थी। और उसे उन लोगों से मदद लेने में शर्म आ रही थी । क्योंकि ससुराल में पहले ही दिन वह मजाक बना नहीं चाहती थी।
ऐसे में उसके पास उस वक्त केवल एक ही रास्ता था ।कि वह साफ-साफ अपनी सासू मां से कह दे कि मुझे रसोई का काम बिल्कुल भी नहीं आता है । मग़र मारे शर्म के जिया ने ऐसा नहीं किया और उसने पूरी ईमानदारी के साथ हलवा बनाने की कोशिश की। जिया ने हलवा तो जैसे तैसे बना लिया । किंतु मीठे में मीठा डालना भूल गई। अर्थात हवला में चीनी डालना भूल गई।जब हलवा पड़ोसने की बारी आई तब जिया ने बहुत ही सुंदर ढंग से सजा सजा कर सभी को हलवा परोसा....!!सभी बहुत खुश भी हुए चलों बहु को खाना बनाना तो आता है।
मग़र हलवा खाते ही सभी ने मुंह बनाना शुरू कर दिया। यह कैसा हलवा है.....?? जेठानी और ननद ने तो परिस्थिति को संभालने की कोशिश की मग़र सासू मां ने कहा जिया क्या तुम्हें खाना बनाना नहीं आता है...??जिया चुपचाप सर झुकाए खड़ी थी। बहु बताओ तो सही ...?जी हमने आज से पहले कभी कुछ नहीं बनाया है।जिया की सासू मां कहने लगी यह आजकल के मां-बाप पता नहीं अपने बच्चों को किस तरह की शिक्षा देते हैं ।घर के कामकाज से को तो कोसों दूर रखते हैं। और फिर धीरे-धीरे सभी वहां से चले गए। जिया का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था। शाम को उसने अपनी मां को फोन किया। और सारा वृत्तांत कह सुनाया । जिया ने रोते हुए मां से कहा मां अब मैं क्या करूं...?? मैंने तो पहले दिन ही सब गड़बड़ कर दिया। फिर मां ने जिया को समझाया बेटी अपने रिश्ते में आए रिक्तताओं को कभी रिक्त ना रहने देना और ना ही उसे कभी अपने पावर, पोजिशन और पैसों से भरने की कोशिश करना।बल्कि अपने रिश्ते में आए रिक्तताओं को तुम सदैव स्नेह समर्पण और प्रेम से भरने की कोशिश करना...।मेरी ये बात हमेशा याद रखना।
तुम होगी सीनियर मैनेजर अपने ऑफिस में पर उस घर में तो तुम उनकी बहू ही हो ..!तो एक बहू के कर्तव्य का पालन करना तुम्हारा पहला धर्म भी है और कर्तव्य भी...!! जी मां अब मैं समझ गई कि मुझे क्या करना है।जिया ने मुस्कुराते हुए मां से कहा ..!! और फिर अपनी मां से कुछ रसोई की जानकारियां ली और कुछ व्यंजन विधि भी मां के कहें अनुसार लिखा और फिर सुबह सबसे पहले उठकर नहा धोकर तैयार होकर रसोई में गई और सबके लिए चाय नाश्ता बना लाई।चाय पीकर सभी लोग हैरान थे कि इसने तो कहा था।इसे रसोई का काम काज आता ही नहीं है... फिर यह सब कैसे हुआ..??जिया ने सबसे पहले कल के लिए परिवार के सभी सदस्यों से हाथ जोड़कर माफ़ी मांगी और उन्हें बताया कि यह सबकुछ उसने अपनी मां से फोन पर ही सीखा है। और उसकी मां ने उसे उसके कर्तव्यों का बोध भी कराया है।तब सभी लोगों ने जिया और उसकी मां की खूब प्रशंसा की और कहा
"मां " है ज्ञान का भंडार........!!
किरण