...

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" फ़िर नहीं मिलना तुमसे "
सालों बाद मिलना चाहते हो, छोड़ा हुआ हाथ देखना चाहते हो
मेरी ढलती उम्र देख ख़ुद के फ़ैसले पर गुमां करना चाहते हो,

ये कैसी चाह है जो इतने सालों बाद क्यों पूरी करना चाहते हो
फ़ासले और बढ़ते रहें ज़िंदगी में, क्यों फ़िर पास आना चाहते हो

नहीं चाहिए पुरानी यादें फ़िर से ज़िंदा, बेहद असहनीय होगा
तुमसे दूर ही भले अब, क्यों वो मंज़र फ़िर दोहराना चाहते हो

बीमार हो चला है अब ये दिल, फ़िर से मिलना सहन नहीं होगा
तन्हा ही ठीक हैं, क्यों फ़िर हमसफर हमकदम बनना चाहते हो

तुम तो मिल कर चले जाओगे, हमारा क्या होगा सोचो तो!!
रह जायेंगे सूनी आँखों में अधूरे सपने, क्यों फ़िर रुलाना चाहते हो

बड़ी मुश्क़िलों से थाम रोक कर रखे हैं आँसूं इन आँखों में
क्यों बाँध तोड़ कर फ़िर इन आँखों में सैलाब लाना चाहते हो

बेहद तन्हाइयों का दौर था वो, क्या गुज़री दिन रात हर पल
क्या क्या बताऊँ तुम्हें क्या बीती, क्या तुम सुनना चाहते हो

दे दिए तुमने ऐसे ज़ख़्म जो ज़िंदगी भर साथ चलेंगे, भरेंगे नहीं
धोखे को माफ़ कर दिया मैंने, क्यों दोबारा दिलासा देना चाहते हो

नहीं मिलना चाहती, सोच कर ही आँखें दरिया बन बह चली हैं
फ़िर मिलने की बात कह क्यों नासूरों को कुरेदना चाहते हो

छोड़ दो मेरे हाल पर यूँ ही, प्रेमिका थी कभी या शायद नहीं
किसी रिश्ते की कोई वापसी नहीं, क्यों वापस आना चाहते हो??

© सुधा सिंह 💐💐