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विश्वास - खुदपे किजिये दूसरो पे नहीं...! !
विश्वास अगर दूसरों की वजह खुद पे किया जाए तो , चोट कम पहुंचेगी ना । जब कोई हमारे विश्वास को तोड़ देता है, तो अक्सर हम खुद में ही कमिया निकालना शुरू कर देते हैं। कि आखिर क्या वजह रही होगी उसकी मुझे धोखा देने की? मेरा विश्वास तोड़ने की |
सच कहू तो कोई वजह नहीं होती किसी का भरोसा तोडने की, किसी का प्यार ठुकराने की, किसी की उम्मीदो को तोड़ देने की | यूँ ही किसी को अपनी मोहब्बत का यकीन करा कर बीच मजदार में छोड़ने की, कोई वजह नहीं होती। वजह सिर्फ एक होती है | कि अब शायद उसका मन भर गया हो तुमसे तुम्हारे प्यार से , तुम्हारी देखभाल करने की आदत से , शायद अब उसे तुम्हारी जरूरत नहीं |
शायद यह वही मोड़ होता है जिंदगी का जहां हम किसी से उम्मीद करते है, किसी के ता-उमर साथ निभाने की और इस उम्मीद में हम जिंदगी भर का दर्द ले आते हैं उससे , और भूल जाते हैं उन लोगो को उनकी बेवफाई को और फिर भरोसा कर लेते हैं हम किसी और पर और अंजाम फिर वही होता है।
फिर कोई और हमसे मोहब्बत में हज़ारों वादे कर हमें छोड़ देता है। ठक सी गई हूं में अब लोगो की बेवफाई से , उनके झूठे वादों से . इसलीये तो कह रही हूं मोहब्बत करना ही है तो खुदसे करो यार
प्यार जताना ही है तो खुदसे जताओ, भरोसा करना ही है तो खुद की काबिलियत पे करो। क्यों किसी और की खातिर खुदको तबाह करना, आखिर क्यों ? किसी और के लिए जीना किसी और के लिए मारना। क्यों ? अपनी जिंदगी को किसी और के हिसाब से जीना।
क्या ? तुम्हें ऐसा करना सही लगता है, जिसने तुम्हें धुत्कार दिया किसी और की खातिर तुम आज भी उसी के लिए दुआ मांगते हो। आखिरी कब तक किसी और का प्यार मांगने लिए हमें खुदको, खुद के आत्म सम्मान को थेस पहुचानी होगी।
जानी, जिंदगी और मौत बहुत कम फसलो पर है ,
यूंही इसे किसी और के लिए बरबाद न करो ||
मोहब्बत करना, भरोसा करना, ऐतबार करने के खिलाफ नहीं हूं मैं , मैं बस इतना चाहती हूं की इक सही इंसान के जिंदगी में आने का इंतजार किया जाए। जो सिर्फ प्यार नहीं इज्जत देना भी जानता हो। क्योंकि खुश रहना हम सबका अधिकार है |



© adhoore khwab