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ये कैसा रिश्ता है भाग 2
भागते भागते वो कांपने लगी थी और चक्कर से आने लगें,अब आगे क्या होगा
सोचने लगी थी, कंधे पे स्कूल बैग के अलावा कुछ नहीं था, फिर बैग खोला तो
पेंसिल पेन स्केल के अलावा कुछ नहीं है
अब कैसे खुद को सुरक्षित करें और कैसे
बचाएं अपने परिवार को उस औरत से पापा को, तभी अचानक एक आवाज आई
वो बंदूक की आवाज थी चीखने की भी उस औरत की, शायद वहां हमला हों रहा है किसी पे, अब क्या करूं,फिर याद आया कि पापा ने
सीक्रेट घर एक लकड़ी का बनाया था मेरे लिए एक ट्री हाऊस बस मैं भाग कर वहां गई ,इधर उधर कुछ जुगाड़ कर रही थी आगे क्या करूं, तभी एक आवाज आई
ए लड़की बाहर निकलो,तुम भी मारी जाओगी, अपने पिता को खो चुकी हों ,मैं तुम्हें
मारना नहीं चाहता हूं, तुम समझौता कर लो,कई साल पहले हमने चोरी की यहां हम वो बक्सा दबा कर गये, वो चाहिए हमें,
सीधे तरीके से मान जाओ ,
हमने कहा ठीक है, हम देते हैं ,और आ रहें हैं बाहर
उसने विश्वास कर लिया और हमने पीछे से उसपे अचानक से वार कर दिया और उसको अपनी जिंदगी भर की खुन्नस निकाल दी इतना मैंने कभी नहीं मारा अब, शायद वो बेहोश हो गया था और हम भाग
कर घर की दौड़ते हैं तो देखते हैं वो सौतन और उसका बेटा को
अंदर वो मार रहे थे ,अब इनसे निपटना मुश्किल होगा हमने आवाज लगाई उनको छोड़ दो मैंने बक्सा फेंक दिया था उनके तरफ़ मगर खाली था पत्थर से भरा
घर के बाहर, वो देखने के बाहर आएं थे हम घर के अंदर, वो सौतन हमने मिलकर मुकाबला किया था तब तक कैसे भी
और होशियारी से उसके बेटे ने पुलिस को फोन किया और हम थक कर बैठ गए , देखते है पापा के लाश को, जो कुछ देर पहले हमने उनसे बातें की थी और अब वो शांत हो गये, आंखों के सामने सब कुछ चल रहा है मगर जुबान बंद हो गई लगता बस एक और बात वो औरत हमें घुर कर देख रही थी, हमने सोचा कि यह कैसा रिश्ता है पापा का सरप्राइज़, किसके लिए था...