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‼️एक तरफा प्यार‼️(उपन्यास):- भाग -१🔴🔴🔴⚫⚫⚫(अधूरी चाहत की एक कहानी)
#‼️एक तरफा प्यार‼️(उपन्यास):- भाग -१🔴🔴🔴
⚫⚫⚫(अधूरी चाहत की एक कहानी)
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‼️किसी ने क्या खूब कहा है कि
एक तरफा प्यार का तो अपना ही मजा होता है ...ना किसी के छोड जाने का गम और ना ही दिल टूटने का गम‼️
प्यार के तो अपने अपने ही रंग रूप होते है ....ये तो मुकद्दर की बात है किसी का प्यार मुक्कमल होता है तो किसी का दिल टूट के बिखर जाता है ....
ऐसी ही एक बेहद ही प्यार से भरी यह कहानी है जिसे पढ़कर आप सबको जरूर आनन्द आयेगा .....मैं जानता हूं जब आप मेरी इस कहानी को पढेंगे तो आपके दिल में प्यार के दीप जल उठेंगे ...और आप स्वयं को ही इस कहानी के पात्र मानकर इसे और गहराई से पढ़ने के लिए बेताब होंगे और कहानी में आगे क्या हुआ था ...इसके जानने के लिए आप उत्सुक रहेंगे ...
‼️वो मंजर ही क्या जिसमें दिल नाम चीज ही ना हो
ये तो वो खेल जो एक बार उतर गया तो उसके चर्चे हर गली गली में होते है साहिब‼️
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रमेश कुछ परेशान सा लग रहा था ..दीपा ने पुछा
रमेश:- क्या बात है ..तुम कुछ परेशान से लग रहे हो ....जबसे तुम शहर से गाँव आये ...तबसे तुम गुमसुम से रहते हो और ना ही मेरे से पहली जैसी बात करते हो ...आखिर क्या बात है रमेश ....तुम मुझे बता सकत है ...(दीपा ने हमदर्दी दिखाते हुये ये बात कही)
परंतु रमेश को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या बोलूं क्या नहीं ....मानों उसके मस्तिषक के शब्दकोष में जैसे शब्द ही समाप्त हो गये ...
दीपा से रमेश की ये चुपी सही ही नहीं जा रही थी ....क्योंकि दिल ही दिल में दीपा रमेश को बहुत ही चाहती थी ...परंतु कभी वह अपने प्यार का इजहार ही नहीं कर पाई ....
.....रमेश को भी यह पता नहीं था की दीपा उससे प्यार करती है ....क्योंकि रमेश ने दीपा को प्रेमिका की नजर से नहीं देखा ......वह तो दीपा को अपना एक सच्चा दोस्त मानता था कि ...क्योंकि दोनों बचपन में ही एक दूसरे के साथ खेलते थे और साथ ही एक में पढे भी थे ...जब रमेश की बारहवीं कक्षा पूर्ण हुई थी तो उसके बाद रमेश के परिवार वालों ने उसे उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए शहर के कॉलेज में उसका दाखिला करवाया था ....
🔴🔴🔴 क्रमश:-
लेखक :- निखिल ठाकुर
अगर आप सबको मेरा यह उपन्यास पसंद आया हो तो कृपया लाईक करें ,कमेंट और मुझे अपने विचारत्मक सुझाव जरूर दें जिससे मुझे और अधिक प्रेरणा मिलें .......© Nikhilthakur