अंधविश्वास: समाज का बाधक
*अंधविश्वास*
शाला मे दीपावली की छुट्टी थी। बच्चे त्योहार मनाने मे जुटे थे। रचना मैडमजी भी अपने घरेलू कार्य मे व्यस्त थी।
एक दिन मैडम की मोबाइल का घंटी बजी। उधर से बात करने वाला आकाश नाम का बालक था। आकाश से बात कर मैडमजी सन्न रह गयी।
मैडमजी तुरंत घर से निकल पड़ी और मोहनके घर जा पहुंची। बात दरअसल ये था कि मोहन जो कक्षा आठवीं का विद्यार्थी था उसका देहान्त हो चुका था।
घर मे मातम फैला हुआ था। रचना मैडमजी के आंखों के सामने अंधकार फैल चुका। अभी सात दिन पहले ही...
शाला मे दीपावली की छुट्टी थी। बच्चे त्योहार मनाने मे जुटे थे। रचना मैडमजी भी अपने घरेलू कार्य मे व्यस्त थी।
एक दिन मैडम की मोबाइल का घंटी बजी। उधर से बात करने वाला आकाश नाम का बालक था। आकाश से बात कर मैडमजी सन्न रह गयी।
मैडमजी तुरंत घर से निकल पड़ी और मोहनके घर जा पहुंची। बात दरअसल ये था कि मोहन जो कक्षा आठवीं का विद्यार्थी था उसका देहान्त हो चुका था।
घर मे मातम फैला हुआ था। रचना मैडमजी के आंखों के सामने अंधकार फैल चुका। अभी सात दिन पहले ही...