...

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हमारी प्रेम कहानी भाग 1
मेरी रसमलाई .......,
तुझे कितनी खिलाई ......
दे दे रुपया एक - एक का ,वरना
वरना क्या
कर देगा सेठ खींचाई ......
मेरी रसमलाई ......
अरे ओ रसमलाई के जवाई उन्ही को खिलाया जायेगा या किसी ओर को भी खिलाएगा ।
छोड़ के आया , दौड़ के आया
लो जी सेठ इधर आया
अब आ गया तो मेरा मुँह क्या देख रहा है उन भाई जी बैठे कितनी देर हो गई।
जी सेठ ।
इसका ध्यान आजकल ना जाने कहा रहने लगा है कोई भी काम ठिक से नहीं करता।

चाचा ,चाचा
ओ चाचा
क्या चाहिए
काम
क्या ( आश्चर्य से )
क्या काम चाहिए यहाँ तुम्हारे लायक कोई काम नहीं है , दिखने में तो अच्छे खासे पढ़े लिखे दिखते हो । कुछ अच्छा सा काम देखो और मजे करो ।
देखलो चाचा अगर हो सके तो ,
अरे ! कह दिया ना ,अब क्या ढोल बजावाकर कहूँ क्या ?
प्लीज चाचा मैं आपके पैर पकड़ता हूँ मुझे काम की बहुत जरूरत हैं आप अपने हिसाब से कुछ भी दे देना मुझे मंजूर हैं ।
अच्छा एक मिनट रुको ,
हेलो !!
राधे राधे
राधे राधे ,सेठ आप घर पर मिले ही नहीं अपनी आज के दिन मिलने की बात हुई थी।
अरे हां मैं तो भूल ही गया था ऐसा कर तु वही रुक मे कुछ ही देर में पहुँच रहा हूँ ।
अरे ओ भोला मैं घर हो कर आ रहा हूँ वह मास्टर का छोरा हैं अपना हिसाब करवाने आया है शाम तक वापस आना होगा तो दुकान सम्भाल लेना और इसे भी कुछ काम बता दे।
जी सेठ
देख भई पहले तो अपने इस बैग को अंदर रख दे और उसके बाद जो भी ग्राहक आकर
माँगे उसे वह दे देना , तब तक जब तक मैं दूध लेकर आ ना जाता हूँ ओर जो सामने बोर्ड लगा हुआ हैं उस पर सब चीजों के भाव लिखे है पढ़ लेना।
ठीक हैं (गर्दन हिलाते हुए )
अच्छा जाता हूँ मैं कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए ।
जी कोई गड़बड़ नहीं होगी।
ठीक हैं ।
भोला ओ भोला
जी चाचा
भोला कहाँ हैं
जी वह दूध लेने गये हैं बस आते ही होंगे।लेकिन आप तो शाम तक की कह के गये थे क्या हुआ ?
अरे वह भी , अभी रास्ते में मिला कह रहा था की कुछ जरूरी काम हो गया हैं कल देखते हैं ।
लो आ गये भोले भैया
अरे इसका नाम मोहन है लाड प्यार से में इसे भोला बुलाता हूँ। क्यू भोला
जी ( हामी भरते हुए)
नाम से याद आया तुमने अपना नाम तो बताया ही नहीं
जी ,श्याम
अच्छा तो श्याम अंदर डायरी पड़ी होगी उसमे देख किस की कितनी उधारी बाकी हैं ।
जी चाचा
भोला तु अपने काम पर लग और हा सुबह जलेबियाँ ज्यादा बनेगी वो अपने मुरारी लाल हैं ना स्कूल के पास वाले उनके यहां कुछ कार्यक्रम है । ओर पहुंचानी भी तुझें ही हैं उनके पास समय नहीं है ।
ठीक हैं सेठ जी
सेठ जी राम राम
अरे राम राम मिठ्ठू भाई ,आज कैसे याद आ गई ।
वह इधर से गुजर रहा था, आप नजर आ गये सोचा मिलते चलते है
घर पर सब कुशल मंगल है
जी सेठ , बस आपकी कृपा से सब बढ़िया हैं।
मेरा क्या हैं यह तो सब ऊपर वाले की मेहरबानी है । और खेती बाड़ी कैसी हो रही हैं।
खेती बाड़ी के गये दिन अब पानी ही नही रहा कैसे करे खेती अब तो मजदूरी करते हैं और पालते हैं पेट।
तेरी बात भी सही हैं बिना पानी के कुछ नही यह जो भी सब पानी की ही माया हैं । चल आ बैठ कर बातें करते हैं
नहीं सेठ फिर कभी
अरे आ जा बहुत दिनों के बाद मिले है एक चाय तो बनती हैं
नहीं, नही सेठ
फिर तेरी मर्जी , आराम से जाना
हाँ
अरे श्याम क्या हुआ देख लिया
जी चाचा , कुल 40,000 बकाया है जिनमे से 25,000 अकेले जग्गू दादा के नाम से हैं वह उधार चुकाते क्यों नहीं और इतने ज्यादा रूपए होने के बावजूद आप उन्हें उधार दे रहे हैं।
अरे श्याम छोड़ तु उसको
क्यों चाचा ?
अरे तु नहीं जानता उसको बहुत ही बेकार इंसान है बड़े - छोटे का लिहाज ही नही । उससे रुपये मांगना मतलब अपमान करवाना है।
चाचा जी मैं करू एक बार कोशिस
क्यों पंगे ले रहा हैं उससे ( दूर खड़ा भोला बोला )
नहीं चाचा जी बिना कोशिस किए हार नहीं माननी चाहिए और मैं नया भी हूँ इस गांव में कोई मुझे पहचानता भी नहीं ।
ठीक हैं , जो तेरी इच्छा वह कर पर ध्यान से
जी , चाचा जी
अरे ओ भोला आज घर नही चलना क्या फटाफट से कर ले
जी सेठ, घर तो चलेंगे ही वरना सेठानी जी आ
जायेगी ढूंढते ढूंढते ।
हा हा हा हा ...............

जग्गू दादा से श्याम कैसे रुपए निकलवाता है और कैसे श्याम की प्रेम कहानी शुरु होती जानने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा ।

अपने चहरे पर मुस्कान बनाएं रखे
@ kiran kumawat