...

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कहानी एक रफ कॉपी की......
जब हम पढ़ते थे तो हर विषय की कॉपी अलग थी। लेकिन एक ऐसी कॉपी थी जो हर विषय को संभालती थी ।
उसे हम कहते थे " रफ कॉपी "....
वैसे तो रफ कॉपी का मतलब खुरदुरा होता था ।
लेकिन ये हमारे लिए बहुत ही मुलायम थी....
क्योंकि.....
उसके कवर पर हमारा कोई मन पसंद चित्र होता था।
उसके पहले पेज पर डिजाइन मे लिखा हुआ हमारा नाम ।
शानदार राइटिंग मे लिखा हुआ पहला पेज ।
बीच मे लिखते तो इंग्लिश थे लेकिन वो लगता था उर्दू, अपना लिखा खुद ही नहीं समझ पाते थे ।
रफ कॉपी मे हमारी बहुत सी यादे छुपी होती थी । जो की बस हमको ही पता होती थी ।
वो अनकहा प्यार....., वो अनजाना सा गुस्सा....., बेमतलब का दर्द...., अपने क्रश और अपना नाम का पहला वर्ड लिखना....,
कुछ उदासी छुपी होती थी, कुछ प्यार छुपा होता था, कुछ ऐसे वर्ड लिखते थे जो हम ही समझ पाते थे।
उनके आखरी पन्नों पर वो चोर, सिपाही, राजा ,मंत्री का स्कोर बोर्ड....,
अपने क्रश के साथ फ्लेम्स निकलना, वो दिल को छू जाने वाली शायरी । ये सब कारनामा हम रफ कॉपी पे करते हैं,
कुछ ऐसे नाम जिन्हें हम मिटाने की सोच भी नहीं सकते थे । हमारे बैग में कुछ हो ना हो रफ कॉपी जरूर होती थी ।
लेकिन अब वो दिन काफी दूर चले गए । रफ कॉपी हमसे दूर चली गई । शायद पड़ी होगी घर के किसी कोने मे.......
मेरी बहुत सी यादों को छुपाये हुए......
सबकी नजरों से बचाये हुए.....
न जाने कहाँ होंगे वो दोस्त, न जाने कहाँ होंगी वो यादें...
बहुत याद आते हैं ,स्कूल के वो पल अब भी सोचती हूँ तो लगता हैं काश वो वक़्त लौट आते...
सोचती हूँ,जब चार दिन बचेंगे जिन्दगी के तब खोलूगीं वो रफ कॉपी ।
" देखूंगी कपकपाती हाथों से"
" देखूंगी वो धुंधली आखों से"
" पढूंगीं थरथराती होठों से "
देखूंगी उन यादों को जो पिछले सीट पे बैठ के किया करते थे....
क्योंकि अभी तो...
" जो नजरों- नजरों से होती थी, वो अल्फाज अधूरी है "
" जो दोस्तों के साथ बिताए, वो याद अधूरी है "
" बचपन में जैसे जीती थी, वो अंदाज अधूरी है "
" अभी उस रफ कॉपी में कई कोड वर्ड, कई सवाल हैं यारों....
जिनका अभी हिसाब अधूरा है।"
- vartika lakshmi