मां क्या ? तुम तारा हो,,
सारे कहते है मां की तुम तारा हो,,
जो सबसे ज्यादा चमकता है तुम वहीं सितारा हो,,
मां क्या ?सच में तुम एक तारा हो
अगर हो तो मेरे पास टूटकर आती क्यों नहीं,,
मीठी मीठी लोरी अपनी नन्ही परी को
सुनाती क्यों नहीं?
जब से तू मुझसे दूर
हुई मां तब से नीद इन आंखो में आती ही नहीं,,
मां बिन तेरे तेरी ये मुस्कान चैन से सो
पाती ही नहीं,,
ना जाने कब मै तेरी
गोद में सर रख कर चैन से सोई थी,,
मुझे आज भी याद है मां वो दिन जब तू मुझे छोड़कर फरिश्तों की दुनिया में
शामिल हुई थी,,
तेरी मां अब इस दुनिया में नहीं रही सब ने मुझसे ये बात कही थी,,
नादान थी मै मां तुझे खोने का दर्द ना समझी,, नहीं रोई मै तुझसे लिपटकर,,
बस तेरे अंतिम दर्शन को तरसी,,
आंखो में आंसू जो आते थे वो भी सूख
जाते थे ,,
मां तेरी कमी को कोई पूरा
ना कर सका चाहे तेरी इस मुस्कान के पास लाखो चाहने वाले थे,,
एक तेरी कमी मुझे लाखो की भीड़ में
भी खलती रही मां तेरी ये मुस्कान
अपने ही जज्बातों से लड़ती रही,,
रातों को करती जब मै सोने की कोशिश,, तो भूरे ख्वाबों को देखकर
चौंक जाती थी,,
मां तेरी ये नन्ही मुस्कान अपनी ही
परछाई से डर के सेहेम सी जाती थी,,
अब बहुत कुछ बदल गया नन्ही सी
मुस्कान बड़ी हुई,, पर रातों को जगना अब भी ये चाह कर भी ना बदल सकी ,,
घंटो खिड़की पर बैठकर तारो को
देखा करना,, बेजान चीज़ों से बाते करनी,,
कुछ आदतें देख ले मां अब तक ना बदली अब भी पहले की तरह ही तेरी याद मुझे आती हैं ,, रातो की अक्सर जगाती हैं,,
मां तेरी ये मुस्कान अपनी कल्पनाओं की दुनिया में तुझे हर रोज़ बुलाती हैं,,
कभी माग कर आ जाना मां तू उस खुदा से दो पल की मोहलत तेरी ये मुस्कान तेरी आंचल की छांव में कहीं खो जाना चाहती है,,
ऐ ख़ुदा एक बार ये मुस्कान सिर्फ और सिर्फ अपनी मां को जी भर के देखना चाहती है,,
© All Rights Reserved
जो सबसे ज्यादा चमकता है तुम वहीं सितारा हो,,
मां क्या ?सच में तुम एक तारा हो
अगर हो तो मेरे पास टूटकर आती क्यों नहीं,,
मीठी मीठी लोरी अपनी नन्ही परी को
सुनाती क्यों नहीं?
जब से तू मुझसे दूर
हुई मां तब से नीद इन आंखो में आती ही नहीं,,
मां बिन तेरे तेरी ये मुस्कान चैन से सो
पाती ही नहीं,,
ना जाने कब मै तेरी
गोद में सर रख कर चैन से सोई थी,,
मुझे आज भी याद है मां वो दिन जब तू मुझे छोड़कर फरिश्तों की दुनिया में
शामिल हुई थी,,
तेरी मां अब इस दुनिया में नहीं रही सब ने मुझसे ये बात कही थी,,
नादान थी मै मां तुझे खोने का दर्द ना समझी,, नहीं रोई मै तुझसे लिपटकर,,
बस तेरे अंतिम दर्शन को तरसी,,
आंखो में आंसू जो आते थे वो भी सूख
जाते थे ,,
मां तेरी कमी को कोई पूरा
ना कर सका चाहे तेरी इस मुस्कान के पास लाखो चाहने वाले थे,,
एक तेरी कमी मुझे लाखो की भीड़ में
भी खलती रही मां तेरी ये मुस्कान
अपने ही जज्बातों से लड़ती रही,,
रातों को करती जब मै सोने की कोशिश,, तो भूरे ख्वाबों को देखकर
चौंक जाती थी,,
मां तेरी ये नन्ही मुस्कान अपनी ही
परछाई से डर के सेहेम सी जाती थी,,
अब बहुत कुछ बदल गया नन्ही सी
मुस्कान बड़ी हुई,, पर रातों को जगना अब भी ये चाह कर भी ना बदल सकी ,,
घंटो खिड़की पर बैठकर तारो को
देखा करना,, बेजान चीज़ों से बाते करनी,,
कुछ आदतें देख ले मां अब तक ना बदली अब भी पहले की तरह ही तेरी याद मुझे आती हैं ,, रातो की अक्सर जगाती हैं,,
मां तेरी ये मुस्कान अपनी कल्पनाओं की दुनिया में तुझे हर रोज़ बुलाती हैं,,
कभी माग कर आ जाना मां तू उस खुदा से दो पल की मोहलत तेरी ये मुस्कान तेरी आंचल की छांव में कहीं खो जाना चाहती है,,
ऐ ख़ुदा एक बार ये मुस्कान सिर्फ और सिर्फ अपनी मां को जी भर के देखना चाहती है,,
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