...

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हमदम से बेवफा तक
मै - ए हमसफर(तब) देख आगे चलकर पीछे न मुड़ जाना,
जाना है तो अभी जा वरना मेरे आंसुओं का कारण न बनना।
वो - कसम तुम्हारे प्यार की साथ पूरा दूँगी मै,
फिर ये कैसा संदेह तुम्हारा की इस हाल मे छोड़ जाऊंगी मै।
मै - चल मान लिया तेरा ये कहा भी,
देख लेंगे जमाने से हटकर कब तक तुम साथ दोगी?
वो - माना की नहीं हूँ बराबरी की तुम्हारी इस जात पात की उलझनों में,
लेकिन हिम्मत बंधी है अब साथ निभाने की हर आंधी तूफानों मे।
मै - चल मुसाफिर माना तेरा साथ मेरा ही होगा,
कर लेंगे सामना मुसीबतों का जिन्हे आना होगा।
(कुछ साल बीतने के बाद)
वो - मुझे जाना होगा तेरी जिंदगी से तुम खुद को समझा लेना,
इस सारी दुनिया दारी से मुझे अब कुछ नही है लेना।
मै - गैर बना छोड़ा तुमने पल भर मे इस कदर आज मुझे
क्या इस बात पे आये रोना,
या ये समझूँ की मेरी बात को नज़रंदाज़ कर इतना वक़्त समझा तुमने मुझे एक खिलौना।
वो - में कुछ कहना नही चाहती हूँ बस इतना है की तुम अपना ख्याल रखना,
हो जाए जो मुलाकात कभी राह मे तो मुस्कुरा के मेरी तरफ देख लेना।
मै - न आओ नज़र मेरी नज़र को तुम अब कभी बस इतना है बताना,
टूटेंगे इस कदर न जान पाए अब तक तो फिर क्या है ये बहाना? अब मुबारक हो तुम्हे खुशियाँ जहाँ की मुझे तो बस अकेले है चलते जाना।
(अंत)🥺🥺
वो - कैसे हो?
मै - अंदर से खोखला और बाहर से खतम,
चली जा दूर कही अब और न सह पाएँगे हम।

© Paricha24