भ्रम की परछाईं
"ममा! मुझे भुख लगी है खाना दो ना। रावी हाॅल में बैठ कर अपना फेवरेट शो देख रही थी, जब उसे अपने बेटे की आवाज सुनाई दी।"
रावी की आँखों में उलझन और थकावट साफ झलक रही थी, लेकिन वो अपने बेटे की आवाज़ को अनसुना नहीं कर सकती थी।
वो उठ कर किचन की ओर जा ही रही थी कि उसका पति रेयांश उसका हाथ पकड़कर अपने पास बैठाते...
रावी की आँखों में उलझन और थकावट साफ झलक रही थी, लेकिन वो अपने बेटे की आवाज़ को अनसुना नहीं कर सकती थी।
वो उठ कर किचन की ओर जा ही रही थी कि उसका पति रेयांश उसका हाथ पकड़कर अपने पास बैठाते...