...

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बूढ़ी अम्मा १८
सौभ्य और उसके पिता कोयली के घर जा रिश्ता
पक्का कर देते हैं।कोयली की शादी धूम धाम से
हो इसके लिए कोयली की माँ ने कु छ पैसे इकठ्ठे
कर के रखे थे उन पैसों को उन्होंने कोयली को ही दे दिया कहने लगीं। बेटा इन्हें तू अपने पास
ही रख ले पता नहीं कब जरूरत पड़ जाए।
कोयली की शादी को तीन दिन बाकि थे।मन में
यही सोच रही थी पता नही माधव उसकी शादी
में आएँगे की नहीं कोयली माधव व उसके एहसानों को नहीं भूल पाई थी।
वो ये भी सोच रही थी माधव आ गए तो वो उन्हें
पहचानेगी कैसे।
उसे उसका पता भी तो नहीं मालूम किस जगह वो कार्ड भेजेगी।

आज हल्दी का दिन था कोयली की निगाहें
दरवाज़े पे ही टिकी थी।शायद माधव आ जाए।
कोयली फिर मन में सोचती कैसी पागल है।
जो नामुमकिन बात हो उसे भी मुमकिन सोच दे
रही है।
कोयली की शादी का सारा खर्च सौभ्य व
उसके पिताजी ही देख रहे थे।
शादी धूम धाम से हो इसके लिए उन्होंने एक
प्लानर रखा था।
वो ही बता रहा था कैसे क्या करना है।
कोयली की उम्मीद अब टूटती जा रही थी।
कोयली को हल्दी के लिए मंडप में लाया गया।
मंडप फूलों से सुसज्जित था।
कोयली ने सोचा भी न था कभी इतने बड़े घर में शादी होगी उसकी।
तभी उसके कानों में जानी पहचानी एक आवाज़ उसके कानों में पड़ी।
जो उसे जानी पहचानी सी लग रही थी।
पता नहीं कोयली को क्या हुआ वो
एकाएक जोर जोर से माधव का नाम ले पुकारने
लगी ...
माधव माधव ...
सभी की निगाहें कोयली की तरफ हो लीं।
सौभ्य दौड़ते हुए कोयली के पास आए कहने लगे क्या हुआ पागल मत बनो।
तुम्हे शायद कोई भृम हुआ है,यहां माधव कैसे आ सकता है,उसे तो कोई खबर भी नहीं तुम्हारी शादी हो रही है।
कोयली ने कहा मैंने जब आवाज़ लगाई तब
वो जो दूर खड़ा शख्स है। जो लोगों के बीच में घिरा कुछ कु छ बातें कर रहा है।
वो मेरी आवाज सुन इधर उधर देख रहा था।
कहीं वो माधव तो नहीं।
सौभ्य हँसने लगा कहने लगा अरे वो
वो तो वेंकेटेश्वर वेडिंग प्लानर है।
में अभी उसे यहॉं बुलवा तुम्हारा परिचय उससे
करवाता हूँ।
© Manju Pandey Choubey