श्रापित हवेली और प्यार
Chapter 4: परछाई की दस्तक
हवेली की हर चीज, हर जगह, हर गूंज, हर परछाई जैसे अनिका को और गहराई में खींच रही थी। दर्पण में रूद्र का सच और परछाई की चेतावनी ने उसकी जिज्ञासा को और भी ज्यादा बढ़ा दिया था। लेकिन साथ ही उसका दिल अब और ज्यादा बेचैन होने लगा था। वह जान चुकी थी कि यह सफर आसान नहीं होगा , मगर फिर भी उसे तो रहस्य का पता लगाना ही था।
पुस्तक के अगले पन्ने पर दिए गए संकेत ने अनिका को हवेली के पश्चिमी हिस्से में भेजा, जहां दूसरा दरवाजा मौजूद था। यह हिस्सा बाकी हवेली से भी ज्यादा वीरान और खौफनाक दिखाई पड़ता था। दरवाजे के चारों ओर दीवारों पर अजीब-सी लिपि में कुछ लिखा हुआ था।
जैसे ही उसने दरवाजे के पास कदम रखा, एक ठंडी लहर फिर से उसके शरीर से गुज़री। दरवाजा बंद था, लेकिन दरवाजे की लकड़ी पर बनी आकृतियाँ जैसे ज़िंदा थीं। अनिका आगे बढ़ी और दरवाजे पर हाथ रखा। अचानक से दरवाजे पर उकेरे गए चित्र हिलने लगे और एक धीमी, डरावनी आवाज गूंजने लगी:
"क्या तुम सच का सामना करने के लिए तैयार हो?"
यह खौफनाक आवाज सुनकर अनिका का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने घबराहट में खुद को संभालते हुए कहा, “मैं तैयार हूँ।”
दरवाजा...
हवेली की हर चीज, हर जगह, हर गूंज, हर परछाई जैसे अनिका को और गहराई में खींच रही थी। दर्पण में रूद्र का सच और परछाई की चेतावनी ने उसकी जिज्ञासा को और भी ज्यादा बढ़ा दिया था। लेकिन साथ ही उसका दिल अब और ज्यादा बेचैन होने लगा था। वह जान चुकी थी कि यह सफर आसान नहीं होगा , मगर फिर भी उसे तो रहस्य का पता लगाना ही था।
पुस्तक के अगले पन्ने पर दिए गए संकेत ने अनिका को हवेली के पश्चिमी हिस्से में भेजा, जहां दूसरा दरवाजा मौजूद था। यह हिस्सा बाकी हवेली से भी ज्यादा वीरान और खौफनाक दिखाई पड़ता था। दरवाजे के चारों ओर दीवारों पर अजीब-सी लिपि में कुछ लिखा हुआ था।
जैसे ही उसने दरवाजे के पास कदम रखा, एक ठंडी लहर फिर से उसके शरीर से गुज़री। दरवाजा बंद था, लेकिन दरवाजे की लकड़ी पर बनी आकृतियाँ जैसे ज़िंदा थीं। अनिका आगे बढ़ी और दरवाजे पर हाथ रखा। अचानक से दरवाजे पर उकेरे गए चित्र हिलने लगे और एक धीमी, डरावनी आवाज गूंजने लगी:
"क्या तुम सच का सामना करने के लिए तैयार हो?"
यह खौफनाक आवाज सुनकर अनिका का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने घबराहट में खुद को संभालते हुए कहा, “मैं तैयार हूँ।”
दरवाजा...