...

0 views

विध्वंश , श्रेष्ठ लीला....
अनादि परम ईश्वर, तेरे अधीन ही संसार की प्रलाणी संचालित है।

• बुद्धि की अधिकता सदैव ही अंत की ओर हमें अग्रसर करती है ।
प्रत्येक पग जीवन के हमें बड़ी ही सूझ बूझ और अनुभव के अधीन होकर ही करने चाहिए किंतु यह भी अनय स्वरूप है कि प्रत्येक निर्णय में हमारा मस्तिष्क ही हमारे निर्णय का स्वामित्व करता है !

• तीन माहा गुरुओं के बीच यहीं चर्चा प्रारब्ध थी की सबसे बड़ा विध्वंश कोनसा था !
महागुरु निहाद- मैंने जब विध्वंश देखा था आर्फेज का , वह आविश्वनीय ही था , मानो शांति की स्थापना करने हेतु स्वयं ही ईश्वरीय शक्ति पृथ्वी पर आ गई हो ।
महागुरु आर्शाह - इस बात का ज्ञान किसे नही है कि उस युद्ध में स्वयं ही आरव ने शस्त्र उठाए थे तो वह सर्वश्रेष्ठ विध्वंश क्यूं ना रहा हो किंतु मैं एक ऐसा श्रेष्ठ विध्वंश का साक्षी है जिसमे उस अनादि की इच्छा के अनुसार असामान्य के हाथो से येन कंकड़ की शक्तियां अंकुश हुई थी ।

तीनों महागुरुओ का तर्क ही हो रहा है था की कौन सा विध्वंश है जो सर्व विध्वंशक था और जिसकी ज्ञाती किसी भी ज्ञान पुस्तक या भविष्य वाणी में न थी ! इनका तर्क प्रारंभ ही था कि क्षण भंगुर में वे सभी अपने स्थान से लुप्त हो मानो भविष्य की सर्व विनाशी परिणाम के स्थल पर आ पहुंचे जहां संग्राम और विनाश अकल्पनीय था ।

तीनो महागुरुओ ने मस्तक जमीन पर रख एक स्वर में उस एक ईश्वर की कृति की और कहा हे आदि और अनादि, प्रत्येक सीमा और नियम से आविलाप , प्रत्येक के सृजन हार और विनाशक , हे अनादि कृपा करे ! यह कैसा विध्वंश है जिसके अंश में आरिफिन के क्रोध का भी समावेश है तो सिओन के धीरज का गरिमा एक भाग में जिया का ऊर्ध्व शक्ति स्त्रोत तो किसी अन्य भाग पर नई रचना का अंश !

• ए पालन हार हम तेरी लीला को समझने में असमर्थ है और बिना तेरे आशीष के हम व्यर्थ , कृपा हमारा मार्गदर्शन करे और इस महा विध्वंश के पीछे का कारण और इसमें हमारी आवश्कता का संकेत करे ।

प्रत्येक का ऐसा आविलापी विध्वंश यह मानो संसार का ही अंत हो।
उस आनादि परमात्मा जिसका अस्तित्व जन्म और मृत्य काल से पवित्र उसकी लीला प्रदर्शित हुई और अपनी नियमानुसार उसने संकेत दिया और कहा ," महा गुरुओं तुम्हारा जन्म और तुम्हारी भूमिका मुझी से है और तुम्हे भी मुझी में आकर विलय हो जाना किंतु क्या तुम्हे यह प्रिय नही की तुम इस घटना क्रम का एक अंग बनो!

तीनों महा गुरुओं ने...