पल्लवगढ : मूर्ति का रहस्य
पल्लवगढ़ : मूर्ति का रहस्य
यह बात है 1820 कि जब विज्ञान ने ज्यादा तरक्की नहीं करी थी। उस समय हिंदुस्तान के उत्तरी भाग में एक गांव हुआ करता था जिसका नाम था पल्लवगढ़। इस गांव का नाम उसके पूर्व राजा पल्लव के नाम पर रखा गया था। गांव के बुजुर्ग लोग कहते थे कि राजा पल्लव देव सिंह एक बहुत ही अच्छे और दयालु राजा थे इसलिए उनकी प्रजा ने उनके लिए एक सोने की मूर्ति बनाई और उस गांव के बीचो-बीच स्थापित कर दी और उस गांव का नाम रखा पल्लवगढ़। पल्लवगढ़ में केवल 500 से 600 लोग रहते थे। उसी गांव में एक 20 साल का जवान युवक रहता था जिसका नाम था सहाना। गांव के बड़े-बूढ़े यह भी कहते थे कि सहाना राजा पल्लव का ही वंशज है।
जैसे-जैसे समय बढ़ता जा रहा था वैसे-वैसे उस गांव में पाप और अधर्म भी बढ़ता जा रहा था।
एक रात में 50 नृतकयो की टोली राजा की सोने की मूर्ति के पास से गुजर रही थी , वह बहुत ही ज्यादा थके हुए थे और उन्होंने सोचा कि वह थोड़ी देर मूर्ति के नीचे विश्राम कर ले। वह सब विश्राम करने बैठ गए और कुछ ही देर में मूर्ति से एक रोशनी निकली और रघु को छोड़कर बाकी सारे लोग उस रोशनी में समा गए।
रघु...
यह बात है 1820 कि जब विज्ञान ने ज्यादा तरक्की नहीं करी थी। उस समय हिंदुस्तान के उत्तरी भाग में एक गांव हुआ करता था जिसका नाम था पल्लवगढ़। इस गांव का नाम उसके पूर्व राजा पल्लव के नाम पर रखा गया था। गांव के बुजुर्ग लोग कहते थे कि राजा पल्लव देव सिंह एक बहुत ही अच्छे और दयालु राजा थे इसलिए उनकी प्रजा ने उनके लिए एक सोने की मूर्ति बनाई और उस गांव के बीचो-बीच स्थापित कर दी और उस गांव का नाम रखा पल्लवगढ़। पल्लवगढ़ में केवल 500 से 600 लोग रहते थे। उसी गांव में एक 20 साल का जवान युवक रहता था जिसका नाम था सहाना। गांव के बड़े-बूढ़े यह भी कहते थे कि सहाना राजा पल्लव का ही वंशज है।
जैसे-जैसे समय बढ़ता जा रहा था वैसे-वैसे उस गांव में पाप और अधर्म भी बढ़ता जा रहा था।
एक रात में 50 नृतकयो की टोली राजा की सोने की मूर्ति के पास से गुजर रही थी , वह बहुत ही ज्यादा थके हुए थे और उन्होंने सोचा कि वह थोड़ी देर मूर्ति के नीचे विश्राम कर ले। वह सब विश्राम करने बैठ गए और कुछ ही देर में मूर्ति से एक रोशनी निकली और रघु को छोड़कर बाकी सारे लोग उस रोशनी में समा गए।
रघु...