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जमीन -एक फैसला
संगीता अपने घर पर लैपटाप में आफिस का काम कर रही थी।तभी दरवाजे पर बैल बजी।
देखो राजू,कौन है,संगीता ने अपने 14साल के बेटे राजीव से कहा।वह प्यार से राजीव को राजू कहती थी।
राजू ने दरवाजा खोला।सामने कोरियर वाला कोरियर लाया था।वह एक पत्र लाया था।राजीव ने वह पत्र मां को लाकर दे दिया।
बेटा, इसको खोलो, मां ने काम करते करते कहा ।
राजीव ने लिफाफा खोला।उसमें एक पत्र था।मां ने पढ़ा, वह एक कोर्ट का नोटिस था।ताऊ जी के लडके ने कोर्ट से नोटिस भिजवाया था।अगले माह की 20 तारीख को कोर्ट में पेश होना था।
यानी पूरे बयालीस दिन बाद व्यक्तिगत रूप से पेश होना था।
अब उसका काम में मन नहीं लग रहा था।अनायास ही वह 5साल पुरानी यादों में वह चली गई।
5 साल पहले राजू के दादा जी का स्वर्ग वास हो गया था।वह गांव की अपनी 80एकड़ जमीन की वसीयत नहीं कर के गये थे।राजू के दादाजी के दो बेटे और एक लड़की थी।उनकी मृत्यु होते ही राजू के ताऊजी के मन में मैल आ गया।उन्होंने जमीन पर जबरन मालिकाना हक जताना शुरु कर दिया।
उन दिनों राजीव के पिताजी विष्णु प्रताप मुरादाबाद में एक निजी कंपनी में मार्केटिंग अधिकारी थे।जमीन हस्तांतरण के सभी नियमों को जानते थे जबकि उसके ताऊ जी दीनदयाल रौबीले किस्म के खेतिहर किसान थे।उनके ताऊजी को भाई का इस तरह अपना हक मांगना नागवार गुजरा और दो महीने बाद होली के दिन उन्हें घर बुलाया। वह और बेटा मुरादाबाद ही रह गए थै।
होली के अगले दिन शाम को ही खबर आई कि अब विष्णु प्रताप नहीं रहे। सुनकर तो जैसे उनकी दुनिया ही उजड़ गई। गांव वालों ने बताया कि अगर उन्हें समय पर डाक्टर की मदद मिल जाती तौ वह बच सकते थे। एक पारिवारिक झगड़े में उनके कान में चोट लगने से निरंतर खून बह रहा था।और लगातार रक्त स्त्राव के कारण उनकी मृत्यु हुई। उसने किसी तरह खुद को और बेटे को संभाला और अपने पुत्र के साथ "घर से काम "कर अपना जीवन चलाने लगी।मृत्युं के कारण में पोस्ट मार्टम रिपोर्ट ने भी कान की अंदरूनी चोट और
अत्यधिक खून का बहाव बताया। याद करते करते उसकी आंखों में आंसू आ गए।
मां पत्र में क्या लिखा है और आप रो क्यों रहे हो? आवाज सुनकर उसका ध्यान टूटा।
कुछ नहीं,बेटा,उसने कहा।अगले माह की बीस तारीख को कोर्ट में उपस्थित होना है।मां ने कहा।
मां, कोर्ट किसलिए जाना है?राजीव ने पूछा।
कागज पर कुछ हस्ताक्षर करने हैं, मां ने अनमना होकर कहा।
उसने अपने मन में एक फैसला लिया
जिस जमीन के लिए वह अपने पति को खो चुकी है,ऐसी जमीन पर वह अब और अधिक रक्तपात नहीं चाहेगी। वह नहीं चाहेगी कि जमीन के चक्कर में अपने इकलौते पुत्र को खोने का जोखिम उठाए। कोर्ट ने अपनी अनापत्ति लिखित में देने के लिए आगामी 20 तारीख को न्यायालय में बुलाया था।
वह एक निर्णय ले चुकी थी।जमीन के मामले में वह आगामी 20तारीक को न्यायालय को अपनी अनापत्ति के संबंध में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर एक एफिडेविट लिख कर दे देगी।
मां,मुझे भूख लगी है।मुझे ब्रैड सैंडविच बनाकर दो।राजीव की आवाज से उसका ध्यान टूटा।
ठीक है,बेटा, कहते हुए राजीव की मां रसोई की तरफ बढ गई।

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