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मिस रॉन्ग नंबर -8
#रॉन्गनंबर
~~~~ पार्ट 8 ~~~~

(जीत फोन आए लड़की की मदद के लिए निकलता है~~~~)

आखरी पल~~~~

उसने झट से दरवाजा खोला, ताकि उसे रंगे हांथ पकड़ा जाएं....!
"अर्थात पकड़ने लायक हो तो... मतलब... पकड़ सकता हूं तो... !"
"अरे यार....! मुझे कुछ नहीं सोचना है बस उसे ढूंढना है... !" विचारों को झटक कर उसने कमरे में कदम रखा...
ये क्या कमरा तो पूरा खाली है...।
और सारा सामान बिलकुल यथावत...! कोई छेड़छाड़ नहीं...!
जरूर कही छुपी होगी...। उसने चप्पा चप्पा छान मारा...! पर वो कहींभी नहीं दिखाई दी...!

अब आगे ~~~~

अब उसका विश्वास पक्का होने लगा था...! हां....! जरूर... जरूर... ये.. चुड़ैल ही होनी चाहिए । क्योंकि.... कल तो मैं खुद अपने हाथों से उठा लाया था ....। अपने सामने सुलाया था..... बस..... सुबह फ्रेश होने क्या चला गया...... ये गायब हो गई......!!!! मतलब.... मेरे सामने ना होने की वजह से वह तुरंत गायब हो गई.....!!
.... गायब हो गई.... इसका मतलब वह चुड़ैल ही होनी चाहिए.....!!! अरे नहीं यार.. !!! ऐसे कैसे हो सकता है ??? आज तक तो कभी किसी ने चुड़ैल देखा नहीं..... । तो ये कैसे हो सकती है??
इतने में ......!!!!
इतने में ही बगल वाले टॉयलेट से पानी फ्लश होने की आवाज सुनाई दी.... नल की बहने की आवाज सुनाई दी..... और किसी के होने का एहसास हुआ.....!!
अरे, इसका मतलब वो अंदर तो नहीं ??? वॉशरूम में ??? ओहो...! मैं क्या क्या समझ बैठा था ???
चुड़ैल टॉयलेट थोड़ी जाती होगी... !!! जरूर लड़की है.... तभी तो वह फ्रेश होने गई थी...!!!
जीत के दिमाग में विचारों का बवंडर जितना तेजी से उठा, उतनेही धड़ाम से नीचे गिर गया था ।
और अब इसका चेहरा दिखने लायक हो गया था । वह पूरी तरह सकपकाया यह सोच रहा था कि क्या करूं पलट जाऊं की.... वहीं रुकुँ.... समझ नहीं आ रहा था ..।
जीत एक कदम पीछे लेने के लिए मुड़ने ही वाला था तभी टॉयलेट का दरवाजा खुला... और वो एकदम सामने थी । इसकी नजर.... उसकी तरफ.... और... उसकी नजर इसके.... तरफ....।
उसने मुझे देखा था..... पहली बार मैं उसकी आंखे देख रहा था । बड़ी बड़ी कजरारी... मटमैली... आंखें....!! मानो पूरी दादागिरी करते हुए उसकी आंखे दिल के अंदर जबरन घुस के आपका दिल चुराकर ले जाती हों ...।
गोल चेहरा...., मटमैला... सांवला रंग,... बड़ी.. बड़ी.. कजरारी आंखें.... धनुष के आकार जैसे.... होंठ..... बेहद खूबसूरत लग रहे थे । वो मुझे देख कर मुस्कुराई.... गजब का आत्मविश्वास था उसकी आंखों में.... एक अलग सी चमक..., एक कशिश.. एक मदहोशी.. थी । क्या मुस्कान थी.... हाय... तीर दिल के अंदर तक गया था ।
बहुत ही खूबसूरत... सावला रंग होने के बावजूद... वास्तव में खूबसूरती क्या है यह आज जान पाया हूं । ऐसा नहीं है की आजतक लड़कियां देखी नहीं... पर गजब का नूर... पहली बार किसी के चेहरे पर देखना... जीत का पहला अनुभव था। अजनबी, अंजान होने के बावजूद 'उसके' चेहरे पर ऐसा न था की किसी पराए से पहली बार मिल रहा हूं, 'वो' तो बहुत जानी पहचानी सी लग रही थी...! बिलकुल दिल के करीब वाली...!
उतने कम समय में भी जीत ने आजतक मिली, जान पहचान, रिशेदार, पास पड़ोस, कलिग्ज सब लड़कियों से चेहरे का मिलान कर लिया....!!!
नहीं इसे पहले कभी नहीं मिला हूं...! अरे यार... क्यों न मिला मैं इसे इससे पहले कभी ??
जीत के मन के भावों का पूरा प्रदर्शन उसके चेहरे पर साफ साफ दिख रहा था ।
जीत को देख वो खिलखिलाकर हंस पड़ी.., उसकी नजरों में एक नटखट शरारतीपन था.. जैसे.... जैसे मैंने उसकी चोरी नहीं.... बल्कि उसने मेरे अंदर का चोर पकड़ लिया... मैं शरमा गया... क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा था...। मेरे पैर तो जमीन में जैसे धंस गए थे । ना आगे हो रहे थे... ना पीछे हो रहे थे...!
वह मुस्कुरा कर बोल ही पड़ी... "क्यों चोर समझ बैठे थे क्या ?? इसीलिए शायद मुझे ढूंढने निकले हो !!!
जीत हिचकते हुए बोला.... वो... वो... दरअसल... वह तुम दिखाई नहीं दिए.... तो मुझे... पता नहीं.... मतलब... मैं... मतलब... तुम... मतलब.... तुम समझ रही हो ना...! मतलब.... कल जो कुछ भी हुआ तो... मैं थोड़ासा डर सा गया था.... कि.. तुम... मतलब.... न जाने तुम कहां चली गई ??

( क्रमशः ~~~~ )

(आगे की कहानी की प्रतीक्षा करिए... अगले अंक में हम फिर जल्द ही मिलेंगे आगे क्या हुआ जानने के लिए...) ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
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