मन की भड़ांस
लेख या कथा कहानी ज्यादा नहीं लिखता , महज एक मन की भड़ांस से होते है !आर्थिक,सामाजिक, राजनैतिक अथवा मानव सम्बन्ध अमूनन हर दूसरी कलम शब्दों को अपने हिसाब से तोड़ती मरोड़ती है !
कमोबेश अख़बारों की दशा और ख़राब है , सरकारी चापलूसी से फुर्सत नहीं बाकि...
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