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चेहरे पे चेहरा
रितु और रितिक के विवाह को दो माह ही हुए थे। दोनों ने प्रेम विवाह किया था। रितिक से रितु कि मुलाकात एक पाटी पर हुई थी। पहली नजर मे ही रितिक अपना दिल हार बैठा था। चंद मुलाकातो मे ही उसने रितु को प्रपोज किया और दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। रितिक के मां-बाप का स्वर्ग वास हो चुका था और उसके कोई भाई-बहन भी नहीं थे। रितु भी अनाथ आश्रम मे पली बढ़ी थी।

रितिक आज मै बहुत खुश हू मेरी बहन जैसी सखी रिया मुझसे मिलने आ रही है और कुछ दिन हमारे साथ ही रहेगी। "तुम्हे कोई एतराज तो नहीं"। " मुझे क्या एतराज होगा," रितिक बोला। मैं चलता हूं देर हो रही है रितिक बोला।

शाम को जब रितिक घर आया तो घर फूलों कि खुशबु से महक रहा था। हंसी-मजाक कि आवाज बाहर तक आ रही थी। जैसे ही वो अंदर आया एक खुबसूरत लड़की ने उसका स्वागत किया। रितु ने उसका परिचय कराया रितिक ये मेरी सहेली रिया है।

रिया बहुत ही चुलबुली, बिंदास, और सैल्फ उबसैस्ट लड़की थी। पहली ही मुलाकात मे वो रितिक से पुराने मित्रों कि तरह व्यवहार कर रही थी। डाइनिंग टेबल पर रिया ने ही मोर्चा सम्भाला हुआ था। रितु ने बहुत प्यार से रिया के सारे मनपसंद व्यंजन सारा दिन मेहनत करके बनाए थे। पर...