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वो अन्तिम दिन

आज भी याद है जिसे चाह कर भी कैसे भूल सकता हूं। यही कुछ सर्दियों का मौसम था उस दिन मैंने जब सुबह जागा तो कुछ उस दिन का आभास अजीब हो रहा था। उसके बाद दिन बीत रही थी और अब यह करीब दोपहर का समय था मैं अपने घर से बाहर इस दिन के जो अविस्मरणीय याद का गवाह बनने जा रहा था।
चूंकि मैं उन दिनों में...