...

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एक शिकायत है ज़िन्दगी ..
दिल हज़ार बार तडपता है
जब मेरी ख्वाहिशे मेरे इतने करीब आकर
उलटे पाव मुड जाती है.

मन सवालो से घिर जाता है
जब ज़िनदगि मुझॆ वादे करके गायब हो जाती है

विश्वास लड्खडाने लगता है
जब खुद को कमज़ोर सा पातॆ हूं

कदम थम से जाते है
जब बनके प्यासा मुसाफ़िर ज़िन्दगी के रेगिस्तान पे भटकता फिरता हूं

दिल टूट जाता है
जब लोग शर्तिया प्यार को सच्चा बताने मे
लगे होते है

मन बैचेन होता है सवालो से
मगर कोइ नही होता जो जवाब दे सके

घुटन महसूस होती है जब चाह कर भी अपने मकसद के लिये कुछ ना कर पाये

कैसे नज़रे मिलाये उस ज़िन्दगी से
जो अतीत का आइना लेकर खडी हो जाती है

कैसे कदम बढाउ
जब पाव मे वक़्त ने हज़ार बेडिया डाल दी हो ......
अकसर ज़िन्दगी एक शिकायत बनकर रह जाती है.
© Haquikat