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बत्ती ले रही जान
दोस्तों आज हम बात करेंगे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर, जो आमजन के लिए किसी फांसी के फंदे से कम नहीं।
जैसा कि आप सभी जानते है कि हमारे देश में जिस तरह से सभी वस्तुओं के उत्पादन पर व उसके एक जगह से दूसरी जगह लाने ले जाने पर टैक्स देना होता है।इसी प्रकार वाहन खरीदने से लेकर वाहन चलाने तक भी टैक्स देना होता है। यधपि टैक्स (कर) देने की प्रथा प्राचीन काल से ही प्रचलित है।(यहां तक कि मुगल काल अकबर के शासन में भी प्रचलित थी)
मगर इस नई जेनरेशन की नई दुनिया में धीरे-धीरे बहुत कुछ बदल रहा है।
जैसा कि देशभर में वर्तमान सरकारों ने अनेको छोटी सड़कें व राष्ट्रीय राजमार्गो (हाईवे) के निर्माण किये है और कर भी रही है। उसके साथ ही सरकारें उन छोटी सड़कों पर व राष्ट्रीय राजमार्गो पर प्राइवेट कंपनियों के टोल्स माध्यम से वाहन चलाने वाले लोगों से टोल टैक्स भी वसूलती है।

वैसे यह सब नियम सरकारों के नेताओं के लिए नहीं है। क्योंकि आप जानते है कि उन्हें टोल नहीं देना होता, अर्थात उनके वाहन टोल फ्री होते है। हां मगर कोई आम आदमी है, तो उसके लिए टोल देना बहुत आवश्यक है । बड़े बड़े नेताओं, बड़े बड़े रहीसों ( बिजनेस मैन), बड़े बड़े सरकारी कर्मियों की गाड़ियों को सामान्य आदमी की बजाय ज्यादा तवज्जो दी जाती है। यह किसी बीमार व्यक्ति, गर्भवती महिला, मौत से जूझते लोगों के लिए आफ़त बनी हुई।

चलिए अब हम चौराहों पर जगह जगह लगी (रेडलाइट) बत्तियों पर प्रकाश डालते है।

जगह जगह आमजन की आफत बनी हुई है रेडलाइट।

आये दिन प्रसव पीड़ित गर्भवती महिलाएं , बीमार नन्हे बच्चे व भयंकर जानलेवा बीमारियों व मौत से जूझते लोग इन चौराहों, सड़कों पर लगी हजारों बत्तियों के कारण ऐसे हजारों लोग रोज मारे जाते है।

सच में इन लोगों के लिए यह एक फंदा बना हुआ है। जैसा कि एक बत्ती पर कम से कम 20-30 सेकण्ड तक रूकना पड़ता है।

जगह जगह इन हजारों रेड लाइटों व टोल नाकों पर वाहनों को रोकने के कारण दो तीन घंटे और लेट हो जाने पर भी जिंदगी की आस में अस्पताल तक ले तो जाते है। मगर देरी की वजह से इन बीमार व मौत से जूझते लोगों की मौत हो जाती है। और मरने वाले व्यक्ति के परिजन मृत हो जाने पर अंतिम क्षण में बस एक ही बात दोहराते है कि हमारा परिजन ठीक था मगर अक्समात बीच बीच-बीच में आई आफतों में लेट हो जाने से वह मर गया।

और ऐसे दिनों दिन ढ़ेरों केस आते है और आ रहे है। मगर सरकारे व शासन-प्रशासन और जिम्मेदार नागरिक इनमें से किसी का भी इस बात कोई ध्यान नहीं है।



© जितेन्द्र कुमार 'सरकार'