आशियाना परिंदो का
हो रही धूमिल प्रकृति अब, पहले जैसा वातावरण अब कहां।
ले सकें खुल के सांस अब, वायुमंडल में वो शुद्धता अब कहां।।
बात हो रही आशियाना परिंदों की तो एक बात बताऊं।
परिंदे तो है अभी भी, परिंदों का आशियाना है अब कहां।।
जरूरतों ने कर दिया अंधा...
ले सकें खुल के सांस अब, वायुमंडल में वो शुद्धता अब कहां।।
बात हो रही आशियाना परिंदों की तो एक बात बताऊं।
परिंदे तो है अभी भी, परिंदों का आशियाना है अब कहां।।
जरूरतों ने कर दिया अंधा...