...

2 views

सपनो का जवाला ❤️
एक मनमोहनी नामक लड़की एक वन में जाती थी, वहां उसके इर्द गिर्द सुबह के पंछी की घटाए सुनने को मिलती थी, पायलो के शौक से इतराने को मचलती थी, मछलियों की तरह नकल कर कर के बचपन में नाचा उछला गाया करती थी ❤️।
अपने धुन में जय श्री राम करते थे फूलो की हरियाली में पहुंच जाती ❤️।
मेघ की ख्वाहिश में गुम खयालों में आसमान के बादल वो देखने लग जाती ❤️।
रात होने को आई तो घर के कमरे में सोने जाते समय नजरें उसकी चांद से टकराई, झटके में वो मुस्कुराई, मुस्कुराते हुए वो किसी विचार में एक रूह इश्क के बारे में कुछ समझते समझते अचानक उसको आत्माओं में रुचि हुई, फौरन वो रात बाहर तूफान को देखती रही ❤️
और एक खयाल उसके दिल में फरमाने लगा ❤️
क्या कोई आत्मा मुझे देख रही होगी? यह सवाल उसके जजहन में दौड़ता जा रहा था ❤️
इतने में ही उसको खुशी हुई और खुद से कहने लगी ❤️
कभी कोई आत्मा मिलेगी तो उसका जन्मदिन छुपके से मनाऊंगी ❤️
इतना इश्क विचार उसके दिल को महरूम करने लगा ❤️।
और इतना सोचते सोचते रुकी वो इस कदर के कल मेले में जाना है तुझको,
बिस्तर पर तकिया चूमकर जा लेती बड़ी मस्ती में वो सोई सोई सी हड़बड़ी में सुबह हो चली ❤️
यह कहानी थी चंद मिनटों की एक लड़की की जो खलबली चुलबुली सपनो की गुहार लगा दे।
© 𝐏𝐫𝐢𝐲𝐚𝐧𝐤𝐚 𝐒𝐡𝐚𝐫𝐦𝐚 🌺🌺🌺