...

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में
खुद को इतना बुलंद करूंगी नई पहचान बनाऊंगी
हर नारी के दिल दिमाक पर में ऐसे छा जाऊंगी
अपने मुकाम को हासिल करके नया मुकाम बनाऊंगी
हर नारी के हक की बाते इस समाज में उठाऊंगी
इस समाज की इन खोखली बातों का खंडन करके जाऊंगी
ये हक देते सिर्फ बातों से
नियम पारित करके पुस्तको में बंद कर देते है
निभाते तो बहुत कम है
लेकिन मुंह से बोलकर उड़ाते जाते है
उसी नारी की पूजा करते जब वो मां ,बहिन, बेटी होती
जब वही नारी बहू बनती दहेज दानी की बलि चढ़ती
दहेज में कमी होने पर हर रोज प्रताड़ित की जाती है
नियम पारित होने पर भी दहेज का दहन हुआ
इस दानव के रहते हर बेटी का बुरा हाल हुआ
कई बेटियां राख हो गई दहेज दानव की गोद में
कितना ढीठ ये दानव जाने का नाम नहीं लेता
मूछों पर ताव देकर के आगे ही बढ़ता रहता है
कुछ को छोड़ हर व्यक्ति के दिमाग में ये रहता है
तो सोचो हे नारी शक्ति ऐसा क्या किया जाए
जिससे इस दानव को समाज से विदा किया जाए ।।
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