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नववर्ष
नमस्कार ......!

मैं किरण कुमावत ( जयपुर वाली ) । आज प्रत्येक व्यक्ति नव वर्ष का उत्सव बड़े ही हर्षोल्लास से मना रहा है । पर क्या यह सही है ? हम अपने धर्म को छोड़कर कही ओर ही चल दिए । मैं किसी धर्म या सम्प्रदाय का अपमान नहीं कर रही हूँ । बल्कि एक छोटा सा विचार आपके साथ साझा कर रही हूँ । मैं सभी से समान स्नेह करती हूँ और करना भी चाहिए लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है की अपने ही धर्म को भूल जाए । आपको पता है हिन्दु नव वर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है । क्योंकि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि कि रचना की थी । ओर अपने एक कहावत भी बनी हुई है जिस पर शायद आपने कभी गौर किया होगा "तीज त्यौहारा बावड़े , ले डूबी गणगौर" इसका आशय यह है की वर्ष का प्रथम त्यौहार हरियाली तीज जो की सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को और आखिरी त्यौहार गणगौर जो की फाल्गुन मास की पूर्णिमा से लेकर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तक मनाया जाता है ।
मेरा यह लेख आपकी खुशियों में बाधा डाल सकता है इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूंँ लेकिन क्या हम हिंदी के साथ - साथ हिंदुत्व का प्रचार प्रसार नहीं कर सकते ? जेसे हिंदी हिंद प्रदेश कि पहचान है वैसे ही धर्म , कर्म और संस्कार भी तो हिंद वासियों की पहचान हैं । क्या हम 1 जनवरी को हजारों रुपये खर्च करने की बजाय चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी प्रथम नवरात्रि को गौ पूजन , कन्या पूजन या अन्य कोई धार्मिक कार्य करके नव वर्ष की शुरुआत नहीं कर सकते ।


धन्यवाद ।