मेरी यात्रा
हर मनुष्य के अलग कुछ समय होता है। जब कि वह अपने अधुरे सपने को पूरा करने के लिए तैयार होता है। ठीक वैसे मेरे पास कुछ समय आया लेकिन मै उन सपनों से ना समझ निकला। परन्तु कुछ दिनों बाद जब मै अपने घर से लखनऊ के यात्रा के लिये बाहर निकला और स्टेशन आ पहुंचा। मै 'टिकट घर' से टिकट लिया और रेलगाड़ी के इन्तजार मे प्लेटफार्म पर इधर - उधर घूमता रहा। फिर मै किनारे आकर कुर्सी पर बैठ गया।
तभी संभव कुछ समय बाद दूसरी रेलगाड़ी आयी और उसमें से एक गोरी- सी लड़की उतरकर मेरे पास वाली खाली...
तभी संभव कुछ समय बाद दूसरी रेलगाड़ी आयी और उसमें से एक गोरी- सी लड़की उतरकर मेरे पास वाली खाली...