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भूतों का जहाज
समुद्र के बीचों बीच एक जहाज पानी मे गोते खाता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था । दोपहर का समय था । लोगो की भीड़ उस जहाज मे लदी पड़ी थी सब समुद्र के नजारे देख कर काफी खुश हो रहे थे ।

अंकुश भी अपने दो दोस्तो के साथ उसी जहाज मे बैठा था । जैसे-जैसे समय बिताता जा रहा था । जहाज की भीड़ भी अब कम होने लगी थी । तभी अंकुश को जहाज मे बैठे दो आदमियों की बाते सुनाई देती है ।

पहला आदमी :- मैंने सुना है इस समुद्र मे रात के समय भूतों का जहाज आता है । तभी तो शाम के बाद इस जगह कोई भी नही रहता ।

दूसरा आदमी :- हाँ भाई तुम सही बोल रहे हो मैंने भी यहाँ के बारे मे काफी कुछ सुना है कई न्यूज़ चैनल मे भी बताया गया है

तभी अंकुश का दोस्त उसके कंधे पर हाथ रखकर बोलता है क्या हुआ तुझे ? तू क्या सोच रहा है । अंकुश उन दोनो आदमियों की बात अपने दोस्तों को बता देता है और उनसे बोलता है क्यों ना आज यही रुक कर पता लगाया जाए आखिर माजरा क्या है ।

अंकुश के दोस्त उसको ऐसा करने के लिए मना करते है की रात के समय हमारा यहाँ रुकना ठीक नही है जो भी रात के समय यहाँ रुकता है वो जिंदा नही बचता यहाँ भूतों का जहाज सच मे आता है ।

अंकुश ठीक है फिर तुम दोनो जाओ मे यही रहूँगा मैं पता लगा कर ही रहूँगा की यहाँ भूतों का जहाज आता भी है या यह बस एक अफवाह है और अगर यह सच है तो मे उस जहाज को देखे बिना यहाँ से नही जाऊंगा ।

दोस्तो के समझाने पर भी जब अंकुश नही मानता तो वो दोनो भी उसके साथ रुक जाते है । वही शाम के सात बज चुके थे। जहाज मे उनके अलावा अब एक दो लोग और थे वह सब जहाज से उतर जाते है ।

उन तीनो को काफी भूख लग रही थी तो वह कुछ खाने के लिए अपने होटल वापस चले जाते है और बारह बजे के बाद समुद्र के पास आने की सोचते है ।

रात के ग्यारह बज चुके थे अंकुश और उसके दोस्त वह तीनो ही खाना खा चुके थे । अंकुश फिर बोलता है चलो अब समुद्र किनारे चलकर कही छिप जाते है ।

वह अंकुश को फिर समझाने की कोशिश करते है । उसके बाद भी जब अंकुश नही मानता तो वह उसके साथ चले जाते है ।

समुद्र के चारो तरफ अंधेरा और सन्नाटा पसरा हुआ था । इंसान तो क्या वहा एक जानवर भी नज़र नही आ रहा था ।


वह लोग एक ऐसी जगह जाकर छिप जाते है जहां से  समुद्र तो नज़र आए पर वह लोग किसी को ना दिखाई दे काफी समय बीत चुका था ।

काफी समय इंतजार करने के बाद अंकुश के दोस्त बोलते है हमको अब यहाँ से चलना चाहिए जितनी देर हम यहाँ रुकेंगे हमको बस डर लगेगा ।

अपने दोस्तो को डरता देख अंकुश उनकी बात से सहमत हो जाता है । वह वापस जाने ही लगते है की उनको समुद्र किनारे से चीखने चिल्लाने की आवाज सुनाई देती है । जिससे वह सहम जाते है ।

तभी अंकुश को समुद्र के बीचों बीच एक जहाज आता दिखाई देता है उस जहाज मे चार-पांच भूत  सवार नज़र आते है जिन्होंने सफेद कपड़े बड़े-बड़े बाल जोकि आगे की तरफ थे वह जहाज उन्ही की तरफ आ रहा होता है ।

तभी अंकुश की नज़र जहाज मे बैठे एक भूत पर जाती है जिसको देखकर वह चोंक जाता है क्योंकि उसके एक हाथ मे चाकू और दूसरे हाथ मे फोन था जिसको वह चला रहा था ।

अंकुश समझ जाता है यह कोई भूतो का जहाज नही बल्कि लुटेरो का जहाज है और यही है । जो लोगों को लूट कर उनको मार देते है ।

अंकुश अपने दोस्तो के पास जाता है और उन्हे सब बता देता है और पुलिस को भी फोन करके सब कुछ बता देता है और जल्दी से पुलिस को वहा आने के लिए बोलता है ।

वह खुद उनके सामने आकर खड़ा हो जाता है । लुटेरो का  ध्यान अपनी तरफ लाने के लिए ताकि वह उनको पुलिस के हवाले कर पाए और अबकी बार उसके दोस्त भी उसका साथ देने के लिए वहां आकर खड़े हो जाते है ।

लुटेरो की नजर जब उनके ऊपर जाती है तो वह उनके पास आकर जैसे ही उनके ऊपर हमला करते है पुलिस वहाँ आकर उनमे से एक के ऊपर गोली चला देती है और उन तीनो को बचा लेती है ।

वही वह लुटेरे जैसे ही भागने लगते है वह तीनो उन्हे पकड़ लेते है जिसमे से दो लुटेरे भाग जाते है । अंकुश उन लुटेरो को पुलिस के हवाले करके "भूतों के जहाज" के राज से हमेशा के लिए पर्दा उठा देता है ।

वह समुद्र अब भूतों के डर से नही बल्कि उसकी खुबसुरती से जाना जाने लगा और वह तीनो अपने घर वापस चले जाते है समुद्र को उसकी असली पहचान देकर ।


© Himanshu Singh