...

5 views

औरत

© quotes_by_shiddat@insta
औरत"

"""जो टूटकर भी मुस्कुरा देती है, सबके सामने ज़लील होकर भी अनजान बनने का सफ़र तय करने वाली औरत हूँ मैं"""
औरत किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं इस्तेमाल किया मैंने, मैं सारे वर्ग की पढ़ीलिखी, नोकरी पेशा, हाउस वाइफ और सभी के लिए किया है।


औरत को समझना सबसे सरल विषय है।क्योंकि उसे समझने में आपको दिमाग लगाने की ज़रूरत नहीं होती।आप बस उनकी भावनाओं को समझ लें इतना बहोत है एक औरत के लिए।
बड़ी कमाल की और छोटी सी दुनिया होती है इनकी।
घर भले दो होते हैं पर नॉमिनी के अलावा कहीं कोई ज़िक्र नहीं होता इनका।इनको जीवन में हर चीज़ का शोख़ होता है सोना, चाँदी,पहनना,घूमना और भी बहुत कुछ।
पर याद रखने वाली बात तो यह है कि बात जब सुकून की आती है तो हर औरत चाहत, प्यार,दोस्त,अपनेपन की तलाश करती है।जो शायद के आदमी समझ नहीं पाते।
मर्दों के हिसाब से औरतों की दुनिया काल्पनिक होती है।बिल्कुल सही....
काल्पनिक तो होती है, क्योंकि वो अपनी कल्पनाओं में सहज,सरल,सीधा,साफ़ चरित्र का निर्माण करती हैं।सबसे ज़्यादा ज़िंदगी जिस प्लेटफार्म पर गुज़ारना होता है, लड़किया ज़्यादातर उसके बारे में ही सोचती हैं,,, और ठीक भी है क्योंकि औरत का सम्पूर्ण जीवन एक अच्छे जीवनसाथी के साथ जुड़ा जो होता है।
शादी से पहले वो सोचती है एक नया घर,पति,अच्छी सास,ससुर,परिवार, पड़ोसी,जेठानी जैसी बहन या सहेली etc कुलमिलाकर ससुराल को एक अच्छे सांचे में ढालते हुए वो शादी का निर्णय लेती है, बेशक़ शादी के कुछ दिन या कह लो जब तक सब अच्छा चलता है तब तक पति पत्नी के सम्बंध भी अच्छे होती हैं।पर जैसे ही परिवार में उथल पुथल मचती है।इन दोनों के विवाहित जीवन में भी बहुत असर होता है।कुछ वक़्त गुज़रते चलता है कुछ इसी तरह।जिसमें पति समझदार हुआ तो वो तुम्हारी सारी बातें कम से कम सुनेगा उसके बाद सही गलत का फैसला करेगा।अगर समझदार नहीं हुआ तो सुनेगा भी नहीं,,
इन सब के बावजूद औरत सब सहते हुए सारी बातों को नजरअंदाज कर के जिन सीख ही जाती है।सबके जुल्म,व्यवहार, जली कटी बातें,,,पर अपने घर में क्लेश न हो इसलिए वो चुप भी रह जाती है।
पर मैं बस इतना जानना चाहती हूं कि जब औरत अपना सब छोड़ कर आपके पीछे चली आई ,अपनी कल्पनाओं को भी टूटता हुआ देखा है उसने,अब हालात भी ऐसे हैं कि बच्चों की ज़िम्मेदारी भी है.... अब जो औरत है वो खुद भी माँ बन चुकी है ,अब कोई भी फैसला उसके बच्चों का भविष्य तय करता है।।।इसलिए चुपचाप सब से लेती है।
ज़िंदगी के कुछ हालातों में मैंने अपनापन,हमदर्दी,प्यार, भरोसा न जाने क्या क्या खोया है।
बस ज़िंदगी तब तक चल रही है जब तक मैंने आपा नही खोया है.....
अब अनुभव से एक बात कहना चाहूंगी कि औरत हो इनका मतलब ये नहीं कि किसी पर निभर्र होकर ज़िंदगी को जिया जाए।हमारा इंसान होना,और किसी के काम आना ये ज़िंदगी है।शादी बहुत अच्छी चीज़ है पर जब जीवनसाथी अच्छा मिले ,समझने वाला मिले तब...❤️
इसलिए ज़िंदगी जियो क्योंकि औरत की ज़िंदगी का सबसे पड़ाव होता है "शादी"....
उसके बाद आपकी ज़िंदगी आपकी तो रहती है, पर आपके वश में हजन रहती।.....

मेरा ये लिखना किसी की भवनाओं को आहत पहुचाने का नहीं है।
बस कुछ गहराई की बातें जो किसी से न कहकर यहाँ लिखकर मन हल्का करती हूं🙏

जब इंसान कुछ बोल नहीं पाता
अक्सर वो लिखना शुरू कर देता है...✍️