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"दूसरी दुनियाँ"(Mysterious story)
सुमित और कनिका की शादी की आज पांचवी सालगिरह थीं। दोनों ने अपनी शादी की सालगिरह पर गोवा जाने की सोची लेकिन सुमित ने इस बार फ्लाइट से नहीं बल्कि क्रूज़ से गोवा जाने का प्लान किया,दोनों बहुत खुश थे बेटी पिंकी भी बहुत खुश थीं।
नियत समय पर उनके जाने का दिन आ गया और वो अपनी बेटी को साथ लेकर चल पड़े,क्रूज़ से जाने के इस प्लान से कनिका बहुत खुश थीं रात को जब वो सोने गए तो उसनें खुशी से सुमित को अपनीं बाहों में भर लिया, सुमित ने भी प्यार से अपनी खूबसूरत बीवी के होठों को चूम लिया।
दूसरे दिन क्रूज़ गोवा से कुछ ही दूर पहले एक टापू जैसे जगह से गुज़रीं वो टापू कनिका को इतनी पसंद आई कि वो वहाँ उतरना चाहतीं थी यहाँ क्रूज़ का कोई स्टापेज़ नहीं था अत:क्रूज़ मेम्बर कनिका को समझाने लगे कि आखिर इस पानी में वो क्यों उतरना चाहते है? मगर कनिका की जिद्द के आगे उनकों झुकना पड़ा और उन्होंने सुमित और कनिका को वहाँ उतार दिया,कनिका पिंकी को गोद में लेकर उस टापू में उतर गई।
क्रूज़ आगे बढ़ गई,सुमित ने कनिका से कहा हम यहाँ आ तो गए है लेकिन वापस कब जाएंगे?
कनिका बोलीं यही से कहीं और जाकर फ्लाइट बुक करा लेगें,सुमित ने भी हामी भर दी ।
वो टापू असाधारण रूप से सुन्दर था चारों ओर बाग बगीचे हरियाली के चादरों से ढकी हुई दुनियाँ, सच कनिका की आंखे चौधिया गई थी यहाँ आकर, काफी दूर चलते चलते दोनों को भूख लगने लगीं तभी उन्हें एक होटल जैसा कुछ नज़र आया दोनों वहाँ चले गए वहाँ सभी लोग जो बेठे हुए थे और जो खाना खा रहे थे उन सब ने बहुत पुराने समय के कपड़े पहन रखें थे,और वहाँ के पुरुष और स्त्रियाँ अति आकर्षक थे खैर उन्होंने मीट और चावल आडर किया जब उन्हें भोजन परोसा गया तो उन थालियों और कटोरियो पर जब उनकी नज़र पड़ी तो वे अवाक रह गए हर एक थाली में सुन्दर नक्काशी और रंगों का सजीव चित्रण था और भोजन भी अति स्वादिष्ट था दोनों ने महसूस किया कि ऐसा भोजन उन्होंने इससे पहले कभी नहीं खाया था,खाना खाने के बाद जब बिल देने की बारी आई तो पैसे के बदले उन्होंने कनिका से उसके गले का हार मांगा और संतुष्ट हो गए कनिका और सुमित कुछ नहीं समझ पा रहे थे।
इस तरह वे तीन चार और उस द्वीप पर रहे फिर उन्होंने द्वीप के किनारे एक सड़क देखीं वहाँ से हवाई अड्डे का पता पूछने पर पता चला कि यहाँ कोई हवाई अड्डा नहीं है जैसे तैसे उन्हें बस मिलीं वे उसी पर सवार होकर गोवा तक चल पड़े और कुछ घंटों की बोझिल यात्रा के बाद वे गोवा पहुँच गए यहाँ वो दो दिन रूके और वापस दिल्ली आ गए।
यहाँ आकर सुमित अपने काम में व्यस्त हो गया और कनिका अपने जौब में व्यस्त हो गई,हाँ बीच में कभी कभार दोनों के बीच उस टापू की बातें होती थी और फिर बाद में वो फिर अपनी अपनी दुनियाँ में मसरूफ़ हो जातें थे,देखते ही देखते कई वर्ष गुज़र गए पिंकी भी अब बड़ी हो गई थी वो एक लड़कें से बहुत प्यार करतीं थीं जो उसी के दफ्तर में काम करता था,सुमित और कनिका को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी आखिर खुद उन्होंने ने भी प्रेम विवाह किया था और कुछ महीने बाद उन्होंने पिंकी का विवाह कर दिया।
शादी की तीसवी सालगिरह भी आ गई कनिका ने सुमित से कहाँ "सुनो क्यों न हम शादी की तीसवी सालगिरह भी उसी द्वीप में मनाए जहाँ आज से पच्चीस साल पहले गए थे" दोनों को ये आईडिया बुरा नहीं लगा और दोनों खुशी खुशी वहाँ चल पड़े दोनों ने फिर क्रूज़ से ही गोवा जाने का निश्चय किया, तय हुआ दो दिन द्वीप में और तीन दिन गोवा में रूकेंगे।
इस बार दोनों ने पहले ही क्रूज़ के कैप्टन से बात कर ली थी कि उन्हें एक द्वीप पर उतरना है इस पर वहाँ उपस्थित सभी लोग हंस पड़े कि भला गोवा जातें हुए कोई द्वीप कहाँ पड़ता है लेकिन कनिका जिद्द पर अड़ी रही कि उसनें द्वीप देखा है और इस बार भी वो उसी द्वीप पर उतरेगी,लेकिन सारा दिन गुज़र गया मगर वो द्वीप कही भी कनिका सुमित और क्रूज़ के किसी सदस्य को नज़र नहीं आया,नज़र आया तो बस चारों ओर सिर्फ समुद्र ही समुद्र,और देखते ही देखते गोवा आ गया,दोनों वहाँ उतर गए, कनिका उलझन में थी कि आखिर वो द्वीप गया तो कहाँ गया सुमित को भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था, खैर तीन दिन गोवा रूककर वो घर चले आए ।
दूसरे दिन सुमित के दफ़्तर जातें ही कनिका ने मैप में वो जगह तलाश करने की ठानी इसीलिए आज वो काम पर भी नहीं गई थी।
जब उसने मैप पर नज़र दौड़ाई तो उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना न था,वो जगह मैप में कहीं भी नहीं था बल्कि चारों ओर समुद्र ही समुद्र दरसा रहा था।
कनिका सोच में पड़ गई कि आखिर तीस साल पहले वो कहाँ घूम कर आई थी, कहाँ ठहरी थी,हो न हो कहीं वो कोई दूसरी दुनियाँ तो नहीं थी,शायद तभी वहाँ के लोग और उनकी मानसिकता हमसे बिलकुल भिन्न थी।
इस तरह के ढेरों सवाल अपने मन में लिए कनिका बस खिड़की की ओर चुप्पी साधे खड़ीं थी,क्योंकि उसके पास इनमें से किसी भी सवाल का जवाब नहीं था।
© Deepa