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दोस्ती
ये बात उस दौर की जब मेने अपनो से दुश्मनी मोड़ ली थी, और खुद की तलाश में घूम रहा था और एक अजनबी से यारी होगाइ,वेस वो मेरी कुछ न होकर भी सबकुछ होगइ,पहले उस्से घंटो तक बात करना और दूसरे दिन सवेरे मिलने पर भी बात खतम नहीं होती,
कभी मेरा सहारा बनती तो कभी मुझे बड़ी बहन की तरह समझती,कभी में उसके भाई की तरह उसकी फिकर करता तो कभी उसके दोस्त की तरह उसे समझता,कभी उसकी दुश्मन ती अजमाइश नई करना चाहता था पर होगी वहीं गलती जो करना नहीं चाहता था,और
हश्र ये हे अब हम दोनो खुद में नहीं मिलते,
की सौदे बाजी तो करलेते हे, मगर आंखो से मौन रहते हे,
अब हम दोस्त तो ही मगर पहले से नहीं मिलते।
मगर ये अब समाज आता हे शायद हर रिश्ता यहां कोई न कोई मतलब से जरूर जुड़ा होता है मतलब खत्म दोस्ती खत्म।
सबक - हम हर मर्तबा वैसे इंसान को चुनते हे जिस आदत या चीज़ की हम्मे कमी होती है या हम उस चीज के लिए हमने मेहनत करी या नहीं करना चाहते,जेसे की में मुझे ज्यादा भाव व्यक्त करना एवम मेने कभी अपने भावनात्मक होने पर काम ही नहीं किया इसलिए में हर मर्तबा भावनात्मक लड़की की और आकर्षित होता था,और उस पर पूरी तरह आधारित होजाया करता था अपनी भावनाओं को संभाल ने के लिए,इसी का नाम दोस्तों जिंदगी ही इस्से जब ये तब तक अपने वहीं किस्से दोहराएगी जब तक तुम उस्से सबक नहीं ले लेते।

© Poshiv