...

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चाॅंद ने बिखराई रोशनी
चाॅंद ने बिखराई रोशनी,उस रोशनी में नज़र आई मुझे तुम।
इस कदर हावी हो गई हो मुझमें,की ख़ुद के नहीं रहे हैं हम।

मेरी इन ऑंखों में जो चेहरा बसा,वो चेहरा सिर्फ़ तुम्हारा है।
मेरे दिल के कितने करीब हो तुम,शयद हमें भी नहीं पता है।

तुम्हें पास में देखकर बढ़ जाती,इस दिल की धड़कने मेरी हैं।
कैसे बताएं,अब इस दिल को तुम्हारी चाहत हो रही कितनी है।

दिल में बेचैनी सी होने लगती है,जब दूर तुम मुझसे जाती हो।
ये दिल मायूस हो जाता है,जब बात तुम मुझसे नहीं करती हो।

शायद मैं नहीं बयां कर सकता हूॅं,कि तुम मेरे कितने करीब हो।
इतना जान लो,मेरी इन सांसों के चलने की वजह अब तुम हो।

चाॅंद ने बिखराई है रोशनी,उस रोशनी में नज़र आई मुझे तुम।
इस कदर हावी हो गई हो मुझमें,की ख़ुद के ही नहीं रहे हैं हम।