...

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तुम्हे खोने का डर
तुम्हें खोने का डर तो हर पल था
पर यकीन कभी नही था की
तुम मुझे छोड़ कर चले जाओगे
जब भी मैं ये सोचती की क्या
तुम कभी मेरे हो पाओगे
कभी कोई जवाब नही मिला
क्योंकि तुम कभी मेरे थे ही नही
ये डर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था
जितना छिपा रही थी उतना ही
बाहर आ रहा था
काश तुमने इस डर को समझा होता
काश तुम कभी छोड़ कर जाते ही नहीं
जब जब उस दिन को याद करती हूं
रोम रोम कांप जाती हूं
की कैसे तुम मुझे से बिझड़ गए
ना कोई वजह और तुमने साथ छोड़
दिया....कुछ दिनों तक तो पूरी तरह
से।बिखर सी गई थी लग रहा था
की सब कुछ खत्म हो गया है
क्योंकि तुम्ही तो मेरी दुनिया थे
तुम्हारे अलावा किसी और को
अपना अजीज समझा ही नहीं था
या यूं कह लो तुम हो तो किसी और की क्
या ही जरूरत है हर पल इतनी घुटन हो रही थी की आखिर क्यों ऐसा हुआ क्यों हम साथ नहीं ....क्या कमी थी जो ऐसा हुआ....तेरे जाने के बाद भी उम्मीद लग कर बैठी रही की तुम मुझे मैसेज करोगे बोलोगे ऐसा कुछ नहीं हुआ...पागल हो क्या की तुम्हें छोड़ कर जाऊंगा....पर ऐसा नहीं था तुम जा चुके थे और मैं उसी राह पर तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी की तुम लोट कर आओगे
.....💔💔💔💔 इंतजार आज भी है