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the warrior/ep:-2 विवेक ओबेरॉय
राज की न्यूज  सुन जहाँ अनु खुश हो रही थी वही एक सकस ऐसा भी था जो उस न्यूज को देख गुस्से से आग बबूला हो रहा था | उस न्यूज को देख  उसने अपना टीवी फोर्ड दिया | और टीवी टूटने के आवाज को सुन कमरे मे बैठे हुए एक औरत बहार भाग के आती है "ये क्या किया तुमने  विवेक ,अपने गुस्से को कंट्रोल नहीं कर सकते क्या तुम ?" उस औरत ने विवेक से कहा |

"कही लगा तो नहीं न तुम्हें , वैसे गुस्सा किस चीज पे आया तुम्हें अब ?" विवेक को चेक करते हुए उस औरत ने विवेक से  पूछा | "नहीं लगा मुझे माँ ,और बस  कुछ नहीं ऐसे ही गुस्सा आ गया मुझे " अपने  माँ से मुँह  फेरते हुए विवेक ने कहा | "अजीब लड़के हो तुम तो ,कैसे तुम्हें ऐसे ही गुस्सा आ जाता  है |" विवेक की बात सुन छिड़ते हुए उसकी माँ ने उससे  से कहा  | 

उसकी माँ उसे कुछ  और बोल पाती उससे पहले ही विवेक अपने कमरे मे जा के ऑफिस के लिए रेडी होता है | और ऑफिस के लिए निकल पड़ता है |

और यहाँ दूसरी ओर अनु  अपने बहन के तस्वीर से बात कर रही होती है "आज तुम भी खुश हो रही होगी ,तुम्हारे कातिलों का उल्टा समय जो शुरू हो गया है हा..हा (हस्ते हुए )| " वह अपने बहन मिनाक्षी की डायरी निकाल के पढ़ने लगती है | उसमे एक पेज पे मिनाक्षी की कंपनी के बारे मे भी उसने लिखा हुआ था   | "ये तो विवेक ओबेरॉय की कंपनी है जहाँ मिनाक्षी  काम करती थी " उस पेज को पढ़ते हुए उसने मन मे कहा | जैसे जैसे वह आगे पढ़ते जा रही थी उसकी बहन के छुपे राज बहार आते जा रहे थे ,उसमे यह भी लिखा था की विवेक उसका बॉयफ्रेंड था इसे पढ़ के वह छोंक जाती है ,"बड़ी बहन से ज्यादा तो मैं इसकी बेस्ट फ्रेंड थी पर ये चीज इसने कभी नहीं बताया मुझे "मन मे सोचते हुए डायरी को उसने वही बंद कर दिया , डायरी मे विवेक उसका बॉयफ्रेंड है  पढ़  उसका मन उदास हो जाता है इसके बजे से वह आगे नहीं पढ़ पाती है इसलिए वह डायरी को अलमारी मे रख देती है|  "hello ! तुम कहा हो अभी "अनु आरुसी को कॉल लगा के पूछती है |

"hey ! अनु मैं अभी ऑफिस मे हूँ , क्यू क्या हुआ कुछ काम था क्या तुम्हें ?" कॉल की दूसरी ओर से आरुसी जवाब देती है| "मैडम आप को सर मीटिंग के लिए अपने कैबिन मे बुला रहे है " उतने मे एक आदमी आ के बोलता है | "okay तुम चलो मैं आती हूँ " आरुसी ने उस आदमी से कहा | हाँ मे सिर  हिलाके हो आदमी वहाँ से चला जाता है | "अनु ऑफिस से आने के बाद तुम से मिलती हूँ , अभी तो सर ने अपने कैबिन मे मीटिंग के लिए बूलाया है तो bye " इतना बोलके आरुसी ने फोन cut कर दिया | दूसरी ओर अनु  भी फोन टेबल पे रख के वही चैर पे बैठ जाती है "मिनाक्षी ने ये बात मुझसे क्यू छुपायी  " ये मन मे सोचते हुए उसे वही पे  नींद  आ जाती है |

आरुसी के ऑफिस मे वह CEO खिड़की के बहार देखते हुए कुछ सोच रहा था | उतने मे ही आरुसी वहाँ आजाती है , "may i coming sir "door को नॉक करते हुए आरुसी ने CEO से पुच्छा | "yes coming "  खिड़की के बहार देखते हुए ही CEO ने आरुसी से कहा | "सर आपने जो cars के मॉडल्स माँगए थे वह आगई है "आरुसी अंदर आते हुए उनसे बोली |  "उसे टेबल पे रख दो मैं बाद मे देख लूगा " CEO ने आरुसी से कहा | "क्या हुआ सर आपकी आवाज से लग रहा है कि  आप आज बहुत टेंशन मे लग रहे हो ?" हिच किचाते हुए आरुसी ने CEO से पूछा | "आप अपने काम से मतलभ रखे और मैं कोन हूँ बताओ जरा ?"चैर को आरुसी के तरफ घूमाते हुए गुस्से से उसने आरुसी से कहा | "आ.. आप इस कंपनी  के CEO विवेक ओबेरॉय  है " डरते हए आरुसी ने जवाभ दिया | "तो तुम होती कोन हो , मुझे टेंशन मे क्यू हो पूछने वाली ,मेरी पर्सनल सेक्रेटरी हो तो वही रहो दोस्त बने की कोशिस  मत करो " चैर से उठते हुए उसने आरुसी से कहा | "सॉरी सर ध्यान  रखूंगी आगे से " डरते हुए आरुसी ने विवेक से कहा | " जाओ यह से अब और अपना काम करो , और हाँ मेरी आज की सारी मीटिंग्स को कैन्सल कर दो " चैर पे बैठते हुए विवेक ने उससे कहा | आरुसी वहाँ से दरवाजे के तरफ मूढ़ती है और एक डेविल स्माइल देखे वहाँ से चली जाती है | 

छुटटी के बाद आरुसी अपने घर चली जाती है | घर पोंछते ही वह अपने कमरे मे आ के दरवाजे लॉक करके आयने के सामने जाके खड़ी हो जाती है " हा.... हा (हस्ते हुए ) विवेक ओबेरॉय तुझे आज टेंशन मे देख अच्छा लगा ,अब तू देख ते जा तेरा और तेरे साथियों के साथ मैं क्या करती हूँ , आज का हिस्साब, पहले का हिस्साब सब एक साथ वसूल करूंगी , और साथ मे मिनाक्षी का भी बदला लूँगी मैं तुझसे "   गुस्से से आरुसी ने आयने मे देखते हुए कहा | कुछ देर उस कमरे मे बिताने के बाद आरुसी वहाँ से बहार आजाती है और फ्रेश हो के अनु के घर के लिए निकलती है |

अनु वही सोच मे अभी भी डुबी हुई थी उतने मे आरुसी आती है "अरे ! ऐसे क्यू बैठी हो यहाँ पे ,और तुमने जब कॉल किया था तब मैं busy थी तो ठीक से बात नहीं कर पाई तुम से " उसके बगल मे आके बैठते हुए आरुसी उससे कहती है | "कुछ नहीं बस तुमसे ऐसे ही बात करना चाहती थी " अनु ने आरुसी से कहा | "अच्छा , तो चलो कही बहार चलते है थोड़ा मूड फ्रेस करते है " आरुसी ने अनु से कहा | अनु हाँ मे सिर हिलती है | वह दोनों  कही बहार घूमने के लिए निकल पड़ते है | घूमते- घूमते  वह लोग एक पार्क मे आजते  है अनु का मूड अब सही होते देख आरुसी  खुश हो जाती है और उसे देखते हुए मन मे बोलती है "मुझे पता है अनु तुम्हें क्या बताना था मुझे , तुम टेंशन मत लो मिनाक्षी का बदला मैं लूँगी , वैसे भी  ओबेरॉय फॅमिली से पुराना हिस्साब पूरा करना है |" 

"क्या सोच रही हो आरुसी ?" आरुसी को सोच मे डुबे देख अनु उससे पूछती है | "कुछ नहीं यार बस भूख लगी है मुझे , बस बहुत हो गया मजाक मस्ती चल अभी कुछ खाने चलते है " आरुसी ने अनु से कहा | आरुसी की हालत देख अनु हँसने लगती है | "चल मैं खिलाती हूँ तूझे आज "अनु ने उसे कहा और वह लोग वहाँ से कुछ खाने चले जाते है |

इस चैप्टर मे हमने देखा की आरुसी अपने दोस्त के बहन का बदला लेना चाहती है पर ऐसा कोन -सा हिस्साब या बदला है जो आरुसी को ओबेरॉय फॅमिली से लेना  है ?...... 
© VINIT KUDDOR