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-:प्रेम- विवाह:-
शादी के बाद भी यदि कोई इंसान बाहर मुँह मारता फिरता है,
तो उसने शादी तो की है लेकिन प्रेम नहीं,
क्योंकि प्रेम को पाकर तो इंसान पूर्ण हो जाता है फिर उसे किसी ओर की चाह नहीं रह जाती, ना ही फिर उसे किसी ओर का ख्याल आता है उसे तो सब में अपना प्रेम नजर आता है जिसे देखे उसमें उसके प्रेम का चेहरा बन जाता है,
प्रेम पूर्ण करता है और जिसे किसी से प्रेम नहीं है वो उसे पाकर भी अपूर्ण रहता है और निरंतर दूसरों में प्रेम की तलाश करता रहता है जैसे मृग कस्तूरी की तलाश करता है प्रेम तो अंदर है जिसे बाहर नहीं ढूंढा जा सकता उसे जगाया जाता है जिसका जग गया वो सबसे प्रेम करने लग जाता है ओर जिसका नहीं जागा वो दूसरों से तो क्या उसे खुदसे ही प्रेम नहीं होता इसलिए प्रेम को ढूंढो नहीं प्रेम को जगाओ वो आपके अंदर है बाहर नहीं है और यदि आपने बिना प्रेम के शादी की है तो आपका ये ही कर्तव्य है कि जिस से आपकी शादी हुई है आप उसी से प्रेम करें और जीवन को मंगल बनाये।
© Adv. Dhanraj Roy kanwal