मजबूरी part 5
समय चलता रहा गगन को स्कूल जाते हुए एक साल पूरा हो गया,
गर्मी की छुट्टी हो गयी,
एक महीने के लिए स्कूल बंद हो गया,
धीरे-धीरे छुट्टियों के दिन समाप्त हो गये,
स्कूल जाने के दिन फिर से शुरू हो गए,
गजरा अपने भाई को स्कूल जाने के लिए तैयार कर रही थी,
तब काकी बोली तेरा भाई एक साल पढ़ लिया,
कलम पकड़ने का ढंग हो गया है,
अब स्कूल जाने की जरूरत नहीं है,
वैसे भी इसे सारी ज़िंदगी मेरे घर में काम ही करना है तो पढ़ लिखकर क्या करेगा,
नाम लिखना तो इसे आ ही गया है,
अब पढ़कर क्या करेगा।
गजरा बोली काकी जी मेरे भाई पर उपकार कीजिए,
काकी बोली कहां से उपकार करूं,
तेरे माता-पिता मुझे खजाना देकर नहीं गए हैं,
तुम दोनों को खाना और रहने के लिए घर मिल रहा है इतना बहुत है,
गजरा रोने लगी,
तब काकी बोली रोती क्यों है,
अब तो तू दस साल की हो गई है,
अब तो तुझे काम करने के लिए खेतों में भी जाना पड़ेगा,
और अपने भाई को भी खेतों में ले जाना काम करने के लिए,
गजरा रोते हुए बोली मेरे भाई की कलाई बहुत ही नाजुक हैं,
वह अभी काम नहीं कर सकता,
काकी बोली बिना काम किए खाना नहीं...
गर्मी की छुट्टी हो गयी,
एक महीने के लिए स्कूल बंद हो गया,
धीरे-धीरे छुट्टियों के दिन समाप्त हो गये,
स्कूल जाने के दिन फिर से शुरू हो गए,
गजरा अपने भाई को स्कूल जाने के लिए तैयार कर रही थी,
तब काकी बोली तेरा भाई एक साल पढ़ लिया,
कलम पकड़ने का ढंग हो गया है,
अब स्कूल जाने की जरूरत नहीं है,
वैसे भी इसे सारी ज़िंदगी मेरे घर में काम ही करना है तो पढ़ लिखकर क्या करेगा,
नाम लिखना तो इसे आ ही गया है,
अब पढ़कर क्या करेगा।
गजरा बोली काकी जी मेरे भाई पर उपकार कीजिए,
काकी बोली कहां से उपकार करूं,
तेरे माता-पिता मुझे खजाना देकर नहीं गए हैं,
तुम दोनों को खाना और रहने के लिए घर मिल रहा है इतना बहुत है,
गजरा रोने लगी,
तब काकी बोली रोती क्यों है,
अब तो तू दस साल की हो गई है,
अब तो तुझे काम करने के लिए खेतों में भी जाना पड़ेगा,
और अपने भाई को भी खेतों में ले जाना काम करने के लिए,
गजरा रोते हुए बोली मेरे भाई की कलाई बहुत ही नाजुक हैं,
वह अभी काम नहीं कर सकता,
काकी बोली बिना काम किए खाना नहीं...