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नहीं चाहिए
इस वक्त मेरी पीढ़ी के लोग सबसे ज्यादा अगर किसी बात से परेशान हैं तो वो है
शादी का सवाल।
किसी को नहीं करनी शादी।
जिनकी हो गई है वो दुखी परेशान हैं
जिनकी नही हुई वो करना नही चाहते।

अगर किसी से पूछो क्यों नहीं करनी तो लगभग सबका जवाब एक सा है
किसी को नही चाहिए जिम्मेदारियों का बोझ।
कई दोस्तों का कहना है की यार एक दो साल और जी लेना चाहता हूं।
मतलब साफ है शादी के बाद मर जायेंगे वो।
जिंदा होना और शादीशुदा होना दोनो नही हो सकता एक साथ।
फिर मैं अगर कह देती हूं की अगर ऐसा लगता है तो कभी भी मत करो।
क्यों करना शादी अगर मौत जैसी लगती है ये।
और इसमें भी सबका एक सा जवाब है की करनी पड़ेगी।
ये पड़ेगी क्यों है नही पता
पर हमेशा से सबसे यही सुनते आई हूं की करनी पड़ेगी शादी भी और बच्चा भी।
इसी सोच की वजह से शायद हम आज दुनियां के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश बन गए हैं।
हमे मिलनी चाहिए आजादी चुनाव करने का इस में भी।
जिसे करना है वो करे,जिसे नही करना उसे भी जीने दिया जाए।
बिना शादी और बच्चे के भी जिंदगी जीने को सामान्य माना जाना चाहिए।
ताकि किसी को जीते जी नहीं चुननी पड़े मौत।
बस इस लिए की मरना पड़ेगा।
कितना अजीब है सुनना।
काफी पढ़े लिखे लोगों को भी आपकी उम्र का पता लगते ही एक सलाह आ जाती है बिन मांगे।
की अरे उम्र बढ़ रही है फर्टिलिटी एक उम्र के बाद कम हो जाती है फिर नही होंगे बच्चे भी।
और मैं चाह कर भी नही समझा पाती उन्हे की नही करना मुझे इनमे से कुछ भी।
ये मेरा चुनाव है,मुझे ऐसी जिंदगी ही चाहिए थी हमेशा से जो मेरी चुनी हो।
चाहे भरी हो मुश्किलों से गम नही है मुझे।
शादी और बच्चे ही जिंदगी में असल खुशी हो सकते हैं ये जरूरी क्यों है।

क्यों नहीं मान लेते की जो तुम जी रहे हो वही जिंदगी नहीं है,दूसरे की जिंदगी तुमसे अलग, काफी अलग हो सकती है।
मान लो ना।
किसी को गलत सही साबित करने की कोई बात ही नही है, बात बस दूसरे को उसके हिसाब से रहने की आजादी की है और उस आजादी को अपना लेने की।
एकदम वैसे जैसे बहुत सी चीजों को अपना लिया गया बिना किसी सवाल जवाब के।

देश की सबसे बड़ी समस्या ही आबादी है,
तो उसे कम नही कर सकते तो कम से कम बढ़ने में तो ना सहयोग दो।
रहने दो यार मुझे मेरे हिसाब की जिंदगी जीने दो।


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