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mistake in love part-3
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा अलीशा को उसके दोस्त उसके आँखों से आँसू पोंछ कर उसे चुप करवाने में लगे थे।

अब आगे.....

रोहन अलीशा की ओर दौड़ पड़ा और उसे अपने सीने से लगा लिया अलीशा का रोना बंद होने का नाम ही नही ले रहा था। उसके आखो के सामने बस वही मंजर नजर आ रहा था ।( उस लड़के ने जब अलीशा के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की थी।) अलीशा को मानो सदमा सा लग गया था । वो वहां जम सी गई थी अलीशा कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी सिवाए रोने के।

रोहन ने अलीशा की ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर करते हुए उसके सिर को प्यार से सहलाते हुए बोला- "आलू देखो सब चले गए है कोई नही है अब चुप भी हो जाओ, देखो मैं हु तुम्हारा रोहन।"

अलीशा ने कोई जवाब नही दिया।

अब रोहन से अलीशा की ऐसी हालत देखी नही जा रही थी उसके आखो से भी आशु झलक पड़े लेकिन फिर उसने खुद को शान्त करते हुए अलीशा को जोर से कंधे पर पकड़ जमाते हुए कहा- "आलू देखो मुझे।"
(फिर रोहन ने अलीशा के सर को अपने हाथों से ऊपर करते हुए अपने सर से उसके सर टिका दीये।)

रोहन बहुत प्यार से बोला- "देखो मेरी तरफ...., मेरी आलू।"

अलीशा ने जब रोहन की तरफ देखा तो वो उससे गले लगकर जोर-जोर से फुट-फुट कर रोने लगी फिर थोड़े देर वैसे ही रोती रही कुछ देर बाद अलीशा का रोना शान्त हुआ अब रोहन को थोड़ा सा शुकुन मिला क्योंकि अलीशा अब नॉर्मल हो चुकी थी। मगर अलीशा ने रो रोकर रोहन के कपड़े का सीना वाला हिस्सा भीगो दिया था।

दोपहर का समय हो चला था अलीशा अब तक शान्त बैठी थी, रोहन अलीशा का हाथ पकड़ कर बैठा हुआ था मेघा को अलीशा की हातल देखी नही जा रही थी तो उसने सभी को रुकने को कहा तो वीरेन और नताशा ने अपनी अपनी परेशानी बताई फिर वो लोग वहां से चले गए ।

( वीरेन और नताशा का बिल्कुल भी मन नही था अलीशा को छोड़कर जाने का लेकिन उनके घर मे भी परेशानिया थी जिसके कारण वह चाहकर भी रुक नही पाया। )

वीरेन और नताशा के जाने के बाद मेघा ने अपने भाई के कपड़े रोहन को देते हुए बोली - "अब जाओ तुम भी नहा लो रंग से भरे हुए बड़े गंदे लग रहे हो ।"

मेघा की बात सुनकर रोहन उसे छेड़ते हुए कहता है- "हाँ चित्तकबरी तू तो बहुत रंग बिरंगी लग रही है। जरा जा कर खुद को आईने में देख बंदरिया लग रही है।"

इस बात पर मेघा नराज हो गई और अलीशा थोड़ा मुस्कुरा दी।

मेघा ने अलीशा को मुस्कुराते हुए देखा तो उसकी नराजगी दूर हो गई। फिर रोहन और मेघा अलीशा के पास जा कर उसके कमर में गुदगुदी करते हुए कहते है- "बहुत हुआ ये मुह लटकाना अब हँसो ,हँसो, हँसो...." ।
फिर अलीशा जोर जोर से हँसते हुए बोली- "अरे..,अरे अब बस भी करो नही ,नही लटकाउंगी मुँह।

अलीशा के हँसी से वहाँ का माहौल खुशनुमा हो गया।
फिर रोहन नहाने चला गया।
यहाँ अलीशा और मेघा का सिर भारी लग रहा था तो उन्होंने नींबू पानी पिया जिससे उन्हें उल्टियां होने लगी उल्टियां करने के बाद उन्हें अब थोड़ा बेहतर लगने लगा।

फिर रोहन नहा कर आया तो,मेघा नहाने गई, फिर मेघा के बाद अलीशा भी नहाने गई और उसने नहाने के बाद मेघा के दिए हुए कपड़े पहन लिए।

अलीशा जब नहा कर आई तो रोहन उसे देखता ही रह गया अलीशा ने काले रंग की सूट सलवार पहनी हुई थी जो स्लीवलेस थी जिसमे अलीशा के गोरे दूध जैसे हाथ बेहद सुंदर लग रहे थे और उसके कपड़े में जो मोतिया लगी थी वह चमचमा रही थी उस कपड़े में अलीशा बहुत ही खूबसूरत लग रही थी मानो कोई अप्सरा धरती पर आ गई हो। जिसे देखकर रोहन का मुंह खुला का खुला रह गया और आँखे फ़टी की फटी रह गई।

रोहन का मुंह खुला देखा तो मेघा ने उसका मुँह बन्द करते हुए कहा - " मुँह बन्द कर मक्खी घुस जाएगी तेरे मुँह में इतना बड़ा मुह खोल कर खड़ा है ।"

मेघा के कहते ही रोहन ने अपना मुँह झट से बन्द कर लिया।
इधर अलीशा शर्माते हुए हंसने लगी।
रोहन अलीशा को इस तरह देख रहा था जैसे उनके अलावा वहां कोई भी ना हो।

जब मेघा ने रोहन को अलीशा की तरफ प्यार से देखते हुए देखा तो मेघा को अलीशा से जलन होने लगी और वो गुस्से से किचन में चली गई।

रोहन ने अलीशा को हँसते हुए देखा तो उसके पास जाकर उसके कानो में धीरे से बोला -" i love u आलू....इतना खूबसूरत भी मत लगो यार कि तुम्हे देख कर मेरी जान ही..."।

रोहन की बात सुनकर हस्ती हुई अलीशा की आँखे नम हो गई और अलीशा ने तुरंत रोहन के मुह में हाथ रखकर बोली - "आपको मेरी उम्र लग जाये पर आप प्लीज ऐसी बात मत किया कीजिए । "

उतने में रोहन अलीशा के माथे को चुमते हुए बोला - "अच्छा बाबा नही करूँगा ऐसी बाते और हम हमेशा साथ रहेंगे, समझी मेरी आलू।"

उतने में रोहन का फोन बजता है जो उसके छोटे भाई रोहित का होता है जिसे देख रोहन अलीशा को "आता हूं " कह कर थोड़ा दूर हो जाता है और अलीशा को भी याद आता है उसने अपनी माँ को बताया ही नही की वो मेघा के घर पर रुकने वाली है इसलिए वो भी अपनी माँ से बातें करती है कुछ देर और फिर किचन की ओर चली जाती है।

रोहन और अलीशा के बीच अभी जो कुछ भी हुआ उसे मेघा किचन से देख रही थी जो बहुत ईर्ष्या में थी ।
(मेघा रोहन को पसंद करती है जो उसे पाना चाहती थी पर रोहन को अलीशा के अलावा किसी से प्यार नही था इसलिए रोहन  सिर्फ अलीशा की परवाह करता था जिसे देख मेघा का खून खोल जाता था पर वो किसी से कुछ नही कहती थी)

मेघा किचन में खड़ी कुछ सोच कर मन ही मन मुस्कुरा रही थी, कि तभी वहां अलीशा आ गई और मेघा को ऐसे मुस्कुराते हुए देख कर बोली - "क्या हुआ मेघा ?क्या सोच रही हो ?ऐसे क्यों अकेले अकेले मुस्कुरा रही हो? मुझे भी बताओ।"

मेघा ने अलीशा की बात को टालते हुए कहा - "कुछ नही यार बस ऐसे ही और अब रात को क्या बनायेगे खाने में तू बता और वैसे भी शाम तो हो ही गई है।"
फिर अलीशा ने उसकी बात पर हामी भरी और डिनर की तैयारी में लग गई।

अलीशा ने पहले देखा की किचन मे क्या-क्या सब्जियां है और क्या-क्या बना सकते है तो फिर उसी तरह उसने सब्जियां बनानी शुरू की अलीशा ने आलू काटी, मेघा ने भी भिन्डी काटी फिर उन्होंने अपनी-अपनी काटी हुई सब्जियां खुद से बनाई, मेघा ने आटा गुन दिया तब तक अलीशा थोड़ी देर बैठ गई ।
फिर मेघा ने अलीशा को कहा - "मीठे में क्या बनाएंगे ?"
तब अलीशा ,मेघा से बोली- "अब तू जा थोड़ी देर रेस्ट कर ले मैं सब सम्भाल लूँगी ।"

मेघा "ठीक है" कह अपने रूम में आराम करने चली गई ।

इधर किचन में अलीशा ने खीर बना दिया फिर उसने रोटी बनाने की तैयारी की और रोटियां बनाने लगी कि तभी रोहन किचन में आया पर वहां मेघा को ना पाकर अलीशा को पीछे से उसके कमर में पकड़ जमा दी और उसके कंधे में अपनी ठोड़ी रख दी अलीशा समझ गई कि वो रोहन था।   

तो अलीशा ने रोहन को कहा- "ये..ये क्या कर रहे है आप छोड़िये मुझे मेघा आ जायेगी तो..।"

रोहन ने अलीशा की बात काटते हुए कहा -" तो क्या उसे भी पता है कि मैं तुमसे प्यार करता हु और मुझे किसी से कोई फर्क नही पड़ता तुम क्या सोचती हो मेरे बारे में उससे मुझे फर्क पड़ता है।"

फिर अलीशा ने रोहन से कहा- "अच्छा जी वो सब ठीक है मगर हमारी अभी शादी नही हुई है पहले आप कुछ बन जाओ तब सोचेंगे।"
रोहन ने अलीशा को अपने सामने घुमा कर उसकी कमर को और कसते हुए बोला- "मतलब तुम नही करती ना प्यार मुझसे ?"

तो अलीशा ने झट से कहा- "करती हूं ना।"
फिर रोहन ने कहा - "क्या करती हो ?"
अलीशा शरमाते हुए - "आप जाइये यहां से परेशान मत करिए।"
रोहन आलिशा को अपने और करीब लाते हुए बोला- "मतलब सच में तुम मुझे प्यार नही करती समझ गया मै।"
और मुह फेर कर जाने लगा कि तभी अलीशा ने सिर झुका कर आँखे नम करते हुए उसे रोकते हुए कहा- "मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं , इतना कि जितना मछलिया समुद्र की पानी की बून्द बून्द को करती है। पक्षी अपने जंगल से करते है ,उससे भी कही ज्यादा प्यार है आपसे रोहन जी।"

रोहन अलीशा की बात सुनकर पीछे मुड़ा और उसका चेहरा अपने हाथों से ऊपर करते हुए बोला- "इतना प्यार कब हुआ तुम्हे मुझसे और आखो में ये आशु क्यों?"
अलीशा ने कहा - "बस ऐसे ही आप बस मुझसे कभी नराज मत होना दिल दुखने लगता है।"
रोहन आलिशा से कहता है - "अच्छा बाबा अब नही होऊंगा नराज तुमसे अब तुम अपना काम खत्म कर लो मैं इन्तेजार कर रहा हु तुम्हारा ।"
थोड़ा शरारत से रोहन बोला- "आखिर मैं भी तो टेस्ट करू तुम खाना कैसे बनाती हो।"

तभी मेघा आ जाती है किचन में तो रोहन वहां से चला जाता है डाइनिंग रूम में और डिनर का वेट करने लगता है।

रोहन को किचन से बाहर जाता देख कर मेघा ने अपना मुह बनाते हुए अलीशा से पूछा- "रोहन, यहां क्या कर रहा था कब से ये यहां था?"

तो अलीशा ने मेघा को जवाब देते हुए कहा - "बस पानी पीने आये थे और चले गए और तुम आ गई।"

मेघा ने रोहन की पी हुई गिलास देखनी चाही पर कोई जुठी गिलास नही थी मेघा समझ गई अलीशा झूठ बोल रही थी और उसने अपनी मुट्ठी कस ली , पर उसने किसी से कुछ नही कहा।
और फीकी सी मुस्कुरा कर डाइनिंग रूम में चली गई।

थोड़े देर बाद अलीशा ने मेघा को पुकारा , खाना सर्व करने के लिए तो मेघा किचन में चली गई।
सब खाना डाइनिंग टेबल पर लग चुका था अब सब बैठ गए थे खाने को रोहन ने रोटी सब्जी ली और खाने लगा उसने आलू की सब्जी की जम कर तारीफे की और भिन्डी की सब्जी थोड़ी सी ही खाई।मेघा और अलीशा ने भी खाना शुरू किया और मेघा ने खाते हुए रोहन की तरफ नजरे टिका दी जो अलीशा की तारीफों की पुल बना रहा था जिसे देख कर मेघा का खून खौलने लगा और उसने अपनी मुट्ठी भीच ली उसने इतना जोर से अपनी मुठ्ठी कसी की उसके नाखून उसके हथेली में निशान बना रहे थे।
फिर सब का खाना खत्म हुआ और मीठे खाने की बारी आई तो खीर तो किचन में ही था उसे लाना वो भूल गए थे तो अलीशा लेने को जाने लगी, तभी मेघा उठ खड़ी हुई और अलीशा को कुर्सी में बैठते हुए बोली- "तुम रुको अलीशा मैं लेकर आती हूँ।"
अलीशा वहां बैठ गई और रोहन से बाते करने लगी।

मेघा दौड़ कर किचन में आई और फिर उसने सभी के लिए खीर को 3 कटोरियो में निकल दिया और खीर ले जाते हुए मन ही मन मे बोली - "आज के बाद तुम सिर्फ मेरे होगे मिस्टर रोहन सिंघानिया "।

इतना कहने के बाद होठों पर तीखी मुस्कान लाते हुए वो बाहर आई और रोहन को ले जाकर खीर की एक कटोरी पकडा दी और खुद सामने चेयर पर बैठकर उसे देखने लगी। रोहन ने खीर खा लिया और मेघा, अलीशा ने भी खीर खा ली।

अब सोने का वक्त हो चला था तो मेघा ने रोहन और अलीशा को उनका कमरा दिखा दिया और वो वहां से चली गई , अलीशा भी अपने कमरे में चली गई। इधर रोहन वहीं खड़ा अलीशा के कमरे की ओर देखे जा रहा था तभी अचानक से रोहन का सिर चकराया तो वो अपनी जगह पर ही थोड़ा लड़खड़ा सा गया ,वहीं मेघा दीवार की आड़ से रोहन को देख रही थी इसलिए रोहन के लड़खड़ाते ही वो रोहन को संभालने उसके पास गई मगर रोहन ने उसे खुद से दूर करते हुए हल्का सा धक्का दे दिया और अलीशा के कमरे में चला गया। मेघा ने रोहन को आवाज दी मगर रोहन ने उसकी बात नही सुनी मेघा अपने दात पिसते हुए अपने पटक कर रह गई ।

जैसा मेघा ने चाहा था वैसा नही हो पाया ।

मेघा ने जो सोचा था वो धरा का धरा रह गया पर वो कुछ नही बोल पाई क्योंकि अगर मेघा कुछ भी करती तो अलीशा को शक होता इसलिए मेघा को कुछ बोलना ठीक नही लगा।
मेघा अपना सर झटक कर वहां से अपने कमरे मे चली गई और उसे थोड़ा घबराहट भी हो रही थी।

इधर रूम में रोहन का मिजाज़ बदने लगा था।

To be continue.....

आखिर क्या होगा अब कहानी में जानने के लिए पढ़ते रहे mistake in love....
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© sincere girl