बंधन चाहत का
अरे ये क्या,इतनी जल्दी सात बज गए। साढ़े सात तक तो,खाना तैयार करना है। मैं तेजी से फ्रिज की ओर बढ़ी,ओर सब्ज़ी निकाल कर,काटने लगी ।
आज मन बहुत खराब था,वजह कुछ भी नहीं थी । पता नहीं क्यूँ,आज तुम्हारा ख़याल आया।
कभी मिली भी नहीं...
आज मन बहुत खराब था,वजह कुछ भी नहीं थी । पता नहीं क्यूँ,आज तुम्हारा ख़याल आया।
कभी मिली भी नहीं...