इक मुलाकात
कुछ तसल्ली से मुलाक़ात हो जाये
मुक़म्मल कभी ये शाम हो जाये
वक़्त की सुइयां न हो दरमियाँ हमारे
कुछ यूं ख्वाइशें बेहिसाब हो जाएं
© ƧӇƖƊƊƛƬ
मुक़म्मल कभी ये शाम हो जाये
वक़्त की सुइयां न हो दरमियाँ हमारे
कुछ यूं ख्वाइशें बेहिसाब हो जाएं
© ƧӇƖƊƊƛƬ
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