...

156 views

सभा पर्व( महाभारत)
सभा पर्व महाभारत की १८में से २वी ग्रंथ या पर्व है। सभा पर्व में महल का वर्णन है, जिसे माया ने इंद्रप्रस्थ में निर्माण किया था।
सभा पर्व के १० उप - पर्व है।
१) सभक्रिया पर्व- इस उप - पर्व में बताया है कि किस प्रकार महल का निर्माण हुआ युधिष्ठिर और बाकी उनके भाइयों के लिए । बाद में महल निर्माण के बाद ऋषियों को निमंत्रण दिया गया।
२)लोकपाला सभापायाना पर्व - इसमें बताया है कि भगवान नारद ने समझाया कि किस प्रकार शासन किया जाए और किस प्रकार योग्य मंत्री गढ़ और सेनापति का चुनाव किया जाए। किस प्रकार सेना को ताकतवर बनाए जाए और प्रजा का पालन किया जाए । युद्ध में मारे गए योद्धाओं के परिवार को किस प्रकार सहयोग किया जाए। न्याय कैसे किया जाए , और अपराधी को दण्ड किस अनुसार दिया जाए।राजा का यह कर्तव्य है कि वह अपनी प्रजा के प्रति समर्पित , धर्म निष्ट , योग्य , कर्म में निपुण हो और अर्थशास्त्र का अच्छे से ज्ञान हो। बाद में युधिष्ठिर ने नारद को वादा किया कि वे अवश्य उनकी सलाह को मानेंगे । नारद जी ने उन्हें राजसूय यज्ञ करने को कहा।
३) रक्ष्यारंभा पर्व- इसमें बताया है कि क्यों जरासंध मरा जाना चाहिए कृष्ण ने कहा।कृष्ण ने बताया कि वह बलशाली और दुष्ट प्राणी है। कृष्ण ने वृहत्रथा ( धरती के भगवान ) और जरा की कहानी बताई कैसे उनके नाम पे जरासंध नाम उसका रखाया।
४) जरासंध वध पर्व - कृष्ण , अर्जुन और भीम मगध गए जहां जरासंध का राज था।
कृष्ण ने बताया कि किस प्रकार ऋषि गौतम ने उषिनारा से विवाह किया( एक शूद्र कन्या) जिनसे कुछ प्रचलित पुत्र हुए। जरासंध से कृष्ण ने उन अपराधियों को छोड़ने को कहा जिनकी कोई गलती नहीं या फिर मृत्यु प्राप्त करने के लिए युद्ध लड़ो। जरासंध ने मल युद्ध करना प्रस्ताव रखा। भीम और जरासंध का भिषड युद्ध हुआ। जहा कृष्ण ने भीम को जरासंध की मृत्यु का भेद इशारों से समझाया । भीम ने बाद में जरासंध का अंत कर दिया।
५) दिग्विजय पर्व - पांडवो ने अपने राज्य का विस्तार किया । अर्जुन ने उत्तर पर कब्जा किया , भिम ने पूर्व पर, सहदेव ने दक्षिण और नकुल ने पश्चिम पर कब्जा किया। युधिष्ठिर को धर्मराज की पदवी दी गई। दिग्विजय पर्व में पांडवो के जीते हुए राज्य , उनके राज्य का विस्तार का वर्णन है।
६) रजसुईका पर्व - इसमें बताया है किस प्रकार कृष्ण का इंद्रप्रस्थ में आगमन हुआ ।
सभी भाइयों का राजसूय यज्ञ की तैयारी करना । कृष्ण ने युधिष्ठिर को भेंट दिया।
७) अर्घायाहाना पर्व - इस पर्व में बताया है कि संसार के सभी राजा और भिक्षु व ऋषि आमंत्रित हुए । जहा सहदेव ने सभी से कृष्ण का पूजन करने को कहा । सिशुपाल ने राजाओं को अपने साथ मिलाकर इसके खिलाव गए । बाद में शांति वार्ता हुई।
८)शिशुपाल वध पर्व - शिशुपाल को अपशब्दों को सहते कृष्ण ने उसे मृत्यु नहीं दी परन्तु क्रोध से भरे कृष्ण ने अपने चक्र का आह्वान किया ।चक्र से उसको सदा के लिए मृत्यु में सुला दिया । कृष्ण बाद में सभा छोड़कर चले जाते है।
९) ध्युतन पर्व- शकुनि ने दुर्योधन से कहा था कि पांडवो को युद्ध में हराना असंभव है फिर भी उन्हें धोखे से हराया जा सकता है ।बाद में शकुनि ने एक रणनीति बनाई । शकुनि ने युद्धिस्थिर को पासा खेलने को कहा। युधिष्ठिर ने खेलने को पहले इनकार किया । शकुनि ने इस बात पर सभा में आए सभी के सामने युधिष्ठिर का अपमान किया । युधिष्ठिर ने यह देख खेलने को तैयार हो गए । खेलते खेलते उन्होंने अपने भाई , पत्नी सभी को दाव में खेला । इसी कारण द्रौपदी का पूरी सभा में अपमान हुआ । इस खेल में वे सभी कुछ हार गए।
१०) अनुद्युता पर्व- इस पर्व में बताया है कि फिर युधिष्ठिर को पासा खेलने के लिए आमंत्रित किया गया । युधिष्ठिर और धृतराष्ट्र ने अपने राज्य को दाव पर लगाया । इस खेल में कहा गया था कि जो भी हारेगा वह १२ साल वनवास भोगेगा और १वर्ष छिप कर रहना होगा । यदि १३वे साल पकड़े गए तो फिर से १२ वर्ष वनवास भोगना पड़ेगा ।इसमें भी युद्धिस्थिरा हार गए। अपने भाई व पत्नी संग वे वनवास को निकल पड़े।
#writcostorychallenge #writco #peace #mahabharat.
so hey guys this was the second parva of mahabharat ( sabha. parv ), hope you liked it .🙏 ....