डर आजादी का
एक बाग में एक मोर और एक मैना रहते थे। दोनों में बड़ी गहरी दोस्ती थी। दिन हो या कि रात, काम हो या कि आराम, दोनों समय निकाल हीं लेते थे मिलने के लिए।
बरसात के मौसम में उनकी दोस्ती और रंग लाती थी। बादलों के मौसम में मोर अपने रंग बिरंगे पंख फैला कर नाचने लगता तो मैना गाने लगता। मौसम में चारों तरफ आनंद हीं आनंद फैल जाता।
उन्हीं दिनों उस बाग के मालिक का बेटा घूमने आया था। मोर और मैना की जुगल बंदी देख कर भाव विभोर हो उठा। अब तो वो बच्चा यदा कदा उन दोनों को देखने बाग आ हीं जाता।
इधर मोर तो बादल का गुलाम था। वो तो बादल के आसमान में छाने पर हीं नाचता। इस कारण बच्चे को काफी दिन इंतजार करना पड़ता। परंतु मैना बच्चे को खुश करने के लिए उसकी आवाज की हू ब हू नकल करने लगता।
मैना के अपने आवाज की इस तरह नकल करते देख बच्चा खुश हो गया। वो बार बार मैना को बोलता और मैना उसकी नकल करता। इस तरह मैना बच्चे के करीब होता गया और मोर से उसकी दूरी बढ़ती चली गई।
मोर बार बार मैना को समझाने की कोशिश करता कि वो दूसरों की आवाज की नकल करना छोड़ दे, परंतु मैना के कानों पर जूं नहीं रेंगती। मोर अपने स्वभाव पर चलता रहा और मैना नकल उतरने में लगा रहा।
समय बीतने के साथ बच्चा बड़ा हो गया। उसे पढ़ने के लिए शहर से दूर जाना पड़ा। वो मैना से इतना प्यार हो गया था कि वो उसके बिना अकेले रह हीं नहीं सकता था।
बच्चा अपने पिताजी से उस मैना को भी साथ ले जाने की जिद करने लगा। आखिर कितनी बार मना करता , था तो आखिर पिता हीं। लिहाजा उसके पिताजी ने मैना को भी अपने बच्चे के साथ कर दिया, परंतु पिंजरे में डालकर।
शहर में बच्चा अकेला था। तिस पर से पढ़ाई लिखाई का बोझ। अब अपनी पढ़ाई लिखाई का ध्यान रखता कि मैना का। पिंजड़े में मैना को कोई हानि नहीं पहुंचा सकता था। मैना के...
बरसात के मौसम में उनकी दोस्ती और रंग लाती थी। बादलों के मौसम में मोर अपने रंग बिरंगे पंख फैला कर नाचने लगता तो मैना गाने लगता। मौसम में चारों तरफ आनंद हीं आनंद फैल जाता।
उन्हीं दिनों उस बाग के मालिक का बेटा घूमने आया था। मोर और मैना की जुगल बंदी देख कर भाव विभोर हो उठा। अब तो वो बच्चा यदा कदा उन दोनों को देखने बाग आ हीं जाता।
इधर मोर तो बादल का गुलाम था। वो तो बादल के आसमान में छाने पर हीं नाचता। इस कारण बच्चे को काफी दिन इंतजार करना पड़ता। परंतु मैना बच्चे को खुश करने के लिए उसकी आवाज की हू ब हू नकल करने लगता।
मैना के अपने आवाज की इस तरह नकल करते देख बच्चा खुश हो गया। वो बार बार मैना को बोलता और मैना उसकी नकल करता। इस तरह मैना बच्चे के करीब होता गया और मोर से उसकी दूरी बढ़ती चली गई।
मोर बार बार मैना को समझाने की कोशिश करता कि वो दूसरों की आवाज की नकल करना छोड़ दे, परंतु मैना के कानों पर जूं नहीं रेंगती। मोर अपने स्वभाव पर चलता रहा और मैना नकल उतरने में लगा रहा।
समय बीतने के साथ बच्चा बड़ा हो गया। उसे पढ़ने के लिए शहर से दूर जाना पड़ा। वो मैना से इतना प्यार हो गया था कि वो उसके बिना अकेले रह हीं नहीं सकता था।
बच्चा अपने पिताजी से उस मैना को भी साथ ले जाने की जिद करने लगा। आखिर कितनी बार मना करता , था तो आखिर पिता हीं। लिहाजा उसके पिताजी ने मैना को भी अपने बच्चे के साथ कर दिया, परंतु पिंजरे में डालकर।
शहर में बच्चा अकेला था। तिस पर से पढ़ाई लिखाई का बोझ। अब अपनी पढ़ाई लिखाई का ध्यान रखता कि मैना का। पिंजड़े में मैना को कोई हानि नहीं पहुंचा सकता था। मैना के...