...

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शंका त्याग दो.. तुम स्वयं शंकर हो..!!
सर्पों की काली माला पहने
भीतर एक शमशान बसाए...!!!
थोड़ा थोड़ा विष पिए
गंगा नैनन में बसाए...!!
वो नारी ही है शंकर नही
पर है खुद में एक शंकर समाए...!!!

मंगलसूत्र सर्पमाला है
उसकी मरती इच्छाओं को...
अपने ही मन के भीतर
मुखाग्नि...