...

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उसका वो शहरी लिबास ❤
यूँ तो वक्त किसी के लिए नहीं रुकता हमें न चाहते हुए भी वक्त के साथ बदलना पड़ता है और शायद इक तरीके से सही भी है!!!!
चलिये अपनी कहानी का आग़ाज करते हैं और कहानी की रोचकता में डूबते हैं।

माँ : गौरी.....
बेटा कहाँ रह गई तु????
चल हमें निकलना सफर के लिए नहीं तो ल हम लेट हो जायेंगे गौरी.....
गौरी : हाँ हाँ माँ आई बस ये कुछ खाने को रख रही थी सफर में आपको कोई परेशानी न हो इसलिए!
माँ : अच्छा अच्छा ठीक है चलो आओ घर में सब देख लिया न कुछ छूटा तो नहीं है????
गौरी : नहीं माँ.... सब देख लिया जो छूट रहा वो ले लिया है और ताला भी ले लिया है!!!
माँ : गौरी किवाड पे ताला मारते हुए रुक गौरी खोल घर दो मिनट (गंभीर लहजे में कहते हुए)
गौरी : क्या हुआ माँ कुछ रह गया क्या???
माँ : हाँ!!!!
गौरी : ताला खोलकर दरवाजा खोलती है!
माँ : हट जरा..... घर के कमरे से जाकर उसके पति की पुरानी तस्वीर जो गौरी के आने के बाद इस संसार से चल बसे वो तस्वीर लेती है और कमरे से बाहर निकल जाती फिर गौरी को कहती है ला....
ताला दे !!!!
गौरी : ये लो वैसे माँ तुम क्या भूल गई थी ?
माँ : बात को टालते हुए चल रिकशे में जाकर बैठ
मैं आती हूँ !
गौरी : ठीक है जा रही हूँ........ !!!!
माँ तुमसे कुछ पूछूँ???
माँ : हाँ हाँ बोलना क्या हो गया?
गौरी : तुम भी मुझे पापा के तरह छोड़कर तो नहीं चली जाओगी न.....????
माँ :( थोड़ा सा भावुक होके) नहीं मेरा बच्चा ❤
रिकशे वाला : मैडम आगे रेलवे स्टेशन का रास्ता खराब है आपको पैदल चल कर ही जाना होगा
गौरी की माँ : भईया और कोई दूसरा रास्ता नहीं है???
रिंग रोड़ से ले लो
रिक्शे वाला : अरे मैडम वहाँ रोड़ तोड़ने का काम चल रहा है आपको मैं यहीं उतार देता यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है स्टेशन!!!!!
माफ करना मैडम पैसा कम देदो लेकर ऑटो लेकर उधर नही जाऊंगा......
गौरी की माँ : ठीक है भईया.......सामने वाले रोड़ से मोड़कर कर दुकान के पास रोक दो आप!
रिक्शे वाला : ठीक है!!!! उसने मोड़कर दुकान के पास ले जाकर उतार दिया।
माँ : गौरी चल उतर बेटा......
गौरी और माँ साथ में स्टेशन तक पहुँच जाते हैं!
रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म से आवाज आती हुई......
यात्रीगण कृपया ध्यान दें.......
दुर्गापुर से कलकत्ता को जाने वाली गाड़ी सिंध एक्स्प्रेस अपनी समय की गति से आधा घंटा विलंबित है परेशानी के लिए खेद है शुक्रिया!

मां : रेल तो देर में आयेगी........
मां गौरी को साथ में लेकर बैठने केलिए जगह पर जाकर बैठ जाती है।
-स्वाति ❤

© behke_alfaaz💕