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एक शब्द पाप और बेटे के लिए।
बात उस दिनों की है, जब छोटे हुआ करते थे, और सपनों के भीड़ में जाया करते थे।
तब जिंदगी एक समझ में आती थी, कि वह कैसा होगा वक्त, जब पापा साथ नहीं होंगे। एक अलग सा महसूस इस दिल में होगा, क्यों वह वक्त ठहरा नहीं उस दिन,

बात हैं यानि की मैं विवेक,

चलिए आप लोगों को सुनाते हैं एक रियल कहानी,
बात 2021 की है, जब हम नोएडा में रहते थे।
जॉब के लिए कहीं इधर कहीं उधर भटकते रहते थे, फिर भी जॉब आसान कहां थी, एक इंजीनियर के लिए जॉब बहुत आसान नहीं होता।
अगर वह प्रेशर हो तो उसके लिए बहुत ही मुश्किल भरा काम होता है।
ऐसा था, मेरा हाल मैं एक इंजीनियर था, और करोना के बाद से मुझे कोई जवाब नहीं मिला था।
यहां इंटरव्यू देता, वहां इंटरव्यू देता कहीं सिलेक्ट नहीं हो रहा था, जहां ज्यादा था,...