...

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हम दूर नहीं हो रहे।🙌
बहुत जरूरी है दूर होना मगर,
सांसे थम जाती हैं इस ख्याल से ही।
तुमने कहा की दूर होना पड़ेगा,
कुछ लम्हों तक तो सांस नहीं आई।
तुम्हारे बिना तुम्हारी यादें जान ले लेंगी।
न जाने कैसा रिश्ता बन गया है अब,
ये मैं तोड़ना भी चाहूं तो नहीं टूटेगा।
इस बार मैं तुमसे ये भी नहीं कह सकता,
कि हो सके तो दूरियां न बढ़ाओ।
तुम्हें मैं बेड़ियों में बांधना नहीं चाहता,
मैं तुम्हें इस बार कमजोर नहीं होने दे सकता।
मगर मैं स्वार्थी हो जाता हूं।
अपनी खुशी की परवाह करने लगता हूं,
तुम्हारी खुशी ज्यादा मायने रखती है,
मैं ये भूल जाता हूं ।
एक डर रहता है की कहीं दूरियां,
रिश्ते को कमजोर न कर दें।
कहीं तुम भूलने न लगो हमको,
कहीं मैं खो न जाऊं तुम्हारे हाथों।
पर ये तो मेरी समस्याएं हैं।
ये मेरा डर है, शायद अकारण है।
तुम भूल नहीं सकते?
मैं इतना तो गैरजरूरी नहीं।
ये अतिचिंता मेरी समस्या है।
ये मेरी काजोरी है ।
तुम्हें मगर कमजोर नहीं होना है।
चाहे मैं कितना भी प्रयास करूं।
और हां हम दूर नहीं हो रहे।
हम दूर कहां हो रहे?
बस कुछ आदतें बदल रहे हैं।
ये मैं खुद को समझाने का प्रयास करूंगा।
© Prashant Dixit