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"उम्मीद"(दूसरा भाग)
परिवार की समस्याओं से तंग आकर " विकल" ने अपने पक्के दोस्त "सचिन" से सलाह मांगी। सचिन ने उसकी सारी बातें इत्मिनान से सुनी और एक दिन बाद समाधान देने के लिए कहा।

दूसरे ही दिन बड़ी उत्सुकता से "विकल", "सचिन" से मिला। "सचिन" ने भी सच्ची दोस्ती निभाते हुए "विकल" को एक रात के लिए होटल में हनीमून सुइट बुकिंग गिफ्ट कर दी।

"विकल" ये बात घर पर बताने में सहज नहीं था तो उसने बहाना बनाया कि "सचिन" के घर पार्टी है। मैं और "सरिता" आज रात वहीं रुकेंगे।

"सरिता" से शादी की रात दिया हुआ गिफ्ट साथ लाने को कहा। वही गिफ्ट जो अभी तक "सरिता" ने खोल के देखा भी न था, जिसे वो घर के कामों में भूल भी चुकी थी। उसने सोचा शायद गिफ्ट सचिन के लिए ही होगा, कुछ पूछे बिना ही उसने वो गिफ्ट रख लिया।

होटल पहुंच के दोनों सोच में डूबे थे। "विकल" इस उलझन में था कि सब कैसे होगा? कोई जानने वाला ना मिल जाए, सर्विस कैसी होगी? रूम साफ सुथरा तो होगा? "सरिता" को पसंद तो आएगा? तमाम तरह के सवाल उसके दिमाग में चल रहे थे। वहीं दूसरी ओर "सरिता" जिसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह तो किसी पार्टी के लिए "सचिन" के घर जाने वाले थे। अब ऐसे अचानक होटल में क्यों जा रहे हैं। होटल के एंट्री गेट से रूम तक आने में सस्पेंस बना हुआ था।

रूम में जैसे ही घुसे तभी सर्विस ब्वॉय आ गया... "सर रूम देख लीजिए सब ठीक है, मैं थोड़ी देर में आता हूं"।

"सरिता", "विकल" से पूछती है हमें तो किसी बर्थडे पार्टी में जाना था ना। हम यहां होटल में क्यों आए हैं? यहीं है पार्टी?
"विकल"- अरे तुम अब तक समझी नहीं?
"सरिता"- मतलब?
"विकल"- मतलब यह हमारा 'हनीमून सुइट' है मैडम...।
"सरिता"-व्हाट?????
"विकल"-हां जी!अब बताओ कैसा लगा मेरा सरप्राइज?
"सरिता"-ने शर्माते हुए कहा..."पर ऐसे अचानक??? घर पर भी नहीं बताया कुछ....।
"विकल"- तुम्हें तो तभी समझ जाना चाहिए था, जब मैंने गिफ्ट साथ लाने को कहा था।
"सरिता"-अरे पर मुझे ल....

इतने में सर्विस बॉय ने दरवाजा खटखटा दिया।
"सर्विस ब्वॉय":-सर कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना? सब ओके है ना?
"विकल"- हां.... सब बढ़िया ही है..। बस तुम जो बार-बार आ जाते हो ना....इसका कुछ करो।
"सर्विस ब्वॉय"- सर वो थोड़ी सी टिप मिल जाती तो मेरा भी काम चल जाता।
"विकल"-अच्छा तू भी क्या याद रखेगा। ले रख...
पर हां अब हमें कोई डिस्टर्ब ना करें। इस बात की ज़िम्मेदारी तेरी है।
"सर्विस ब्वॉय":- हां सर क्या बात करदी...। यही तो काम है मेरा।

इतना कहकर सर्विस ब्वॉय चला गया और विकल ने कुंडी लगा ली विकल सरिता को देख रहा था और सरिता भी शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी। सरिता की ओर बढ़ते हुए विकल के कदम जैसे मानो खामोशियों को गहरा और दूरी को कम कर रहे थे...

photo credit:-Facebook.

© प्रज्ञा वाणी