...

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मेरा दिया हुआ गुलाब....
जब आओ मिलने तुम कब्र पर हमारी,
सुनो मेरा दिया हुआ तुम वो गुलाब लाना,

लिखी है जो हम दोनो ने मिल कर
साथ में वो हमारी मोहब्बत की किताब लाना,

मैं खामोशी से सुनता रहूंगा वो बाते सारी,
तुम मोहब्बत की उसी अदा से मुझे पढ़ के सुनाना,

पढ़ते पढ़ते जहां आ जाए जिक्र मेरे नाम का,
तुम जरा भी रोना मत बस मोहब्बत से मुस्कुराना,

हां मैने लिखी है उसमे कई गजल तुम पर,
पढ़ो जब उन्हें तो मोहब्बत की वो अदा लाना,

जो शिकायत थी तुमसे हमे, वो मैने इसमें नही लिखी
इसलिए तुम इसे पढ़ते वक्त, अपने जहन में ना कोई डर लाना,

पढ़ते पढ़ते जो आ भी जाए नींद तुम्हे,
मेरी कब्र पर सर रख कर चैन से सो जाना,

सुनो तुमसे एक सवाल और था मेरा,
बुरा नही लगेगा ना तुम्हें, मेरा तेरे यूं ख्वाबों में आना,

सुनो जो आओ तुम हमसे मिलने कब्र पर हमारी,
जो हमने मिलके संजोए थे वो सारे ख्वाब भी ले आना...

कसमें, रस्में, वादे ,यादें बाते सब कुछ ले आना,
आने की जल्दी में तुम ओ "साहेब" कुछ भी ना छोड़ आना,



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© Ashish panwar (साहेब)