वो बच्ची
अभी ट्रेन में हूँ। मुझे अव्वल श्रेणी नहीं पसंद, हमेशा की तरह वही सीट बुक की है जहाँ खिड़की खोल पाऊँ, दोपहर में चलती गर्म हवायें चेहरे से छू पाऊँ और ढलते सूरज के साथ उन हवाओं का धीरे-धीरे सर्द होना महसूस कर पाऊँ। बस अभी कुछ देर पहले आँख बंद करे हुए इन्हीं हवाओं की बोली समझने की कोशिश कर रहा था। तभी पीछे वाली सीट से एक अनजान हाथ ने...