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इत्तेफ़ाक़...✍️ Chapter–2
Chapter-2

शाम का वक्त था डेनियल अपने सारे काम निपटाने के बाद आराम से बाहर खाट पर बैठा हुआ था l तभी अचानक मौसम भी बदलने लग गया और तेज तूफान और बारिश के आसार दिखने लगे। धीरे धीरे आसमान में काले बादल छाने लग गए और वहां अंधकार फैल गया। तेज हवाओं के साथ सिलसिला शुरू हुआ और थोड़ी ही देर में मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। अब तक डेनियल सभी जानवरों को सुरक्षित स्थान पर बांधकर खुद मौसम के सही होने का इंतजार करते हुए चौखट पर बैठ गया।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ था कि वह घर पर अकेला था हां पर उसे पहली बार डर जरूर लगने लगा था और थोड़ी सी चिंता भी हो रही थी।
वह उदास मन से या सोचने लगा कि अंकल जॉर्ज भी अगर उसके साथ होते तो शायद उसे इतनी परेशानी ना हो रही होती।
प्रभाकर भी क्या सकता था चुपचाप बैठकर मौसम तो सही होने का इंतजार करता रहा।

तभी भारी बारिश के बीच थोड़ी दूर पर उसे एक धुंधला साया अपनी और बढ़ते हुए दिखा। और इसी एक वजह ने उसके डर में और इजाफा कर दिया उसे किसी अनहोनी की आशंका होने लगी और अब बुरी तरह से घबराने लग गया। धीरे-धीरे वह साया उसके पास आता गया और वह उसे पहचानने की कोशिश करने लगा। बारिश के धुंधले दृश्य में उसने देखा कि एक लड़की जख्मी हालत में रेंगते हुए उसकी ओर जितनी तेजी से बढ़ सकती थी बढ़ते हुए चली आ रही थी।

वह बुरी तरह से रो रही थी और शायद दर्द के मारे चीख भी रही थी।

उसने कंपकपाती हुई आवाज में कहा – "मेरी मदद करो।"

और फिर वह डेनियल के पास पहुंचते ही वहीं पर बेहोश होकर गिर पड़ी।
डेनियल को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। भारी असमंजस के बीच में उसने एक फैसला किया.......................

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© Kaviraaj A.K..